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period of seven years. After that the yoni (productive capacity) gets weak, shattered, destroyed, seedless, and sterile. In other words the seeds no longer germinate on sowing.
स्थिति-पद STHITI-PAD (SEGMENT OF LIFE SPAN) जी ९१. बायरआउकाइयाणं उक्कोसेणं सत्त वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता। ९२. तच्चाए णं. ॐ वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसेणं णेरइयाणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। ९३. चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए जहण्णेणं णेरइयाणं सत्त सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता।
९१. बादर अप्कायिक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति सात हजार वर्ष की है। ९२. तीसरी वालुकाप्रभा पृथ्वी के नारक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति सात सागरोपम की है। ९३. चौथी पंकप्रभा पृथ्वी के नारक जीवों की जघन्य स्थिति सात सागरोपम की ही।
91. The utkrisht sthiti (maximum life span) of apkayik jivas (waterbodied beings) is seven thousand years. 92. The utkrisht sthiti (maximum life span) of infernal beings of Balukaprabha prithvi (third hell) is seven Sagaropam (a conceptual unit of time). 93. The jaghanya sthiti
(minimum life span) of infernal beings of Pankaprabha prithvi (fourth 卐 hell) is seven Sagaropam (a conceptual unit of time). ॐ अग्रमहिषी-पद AGRAMAHISHIS-PAD (SEGMENT OF CHIEF QUEENS) के ९४. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो सत्त अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। + ९५. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सत्त अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ। ९६. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सत्त अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ।
९४. देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल महाराज वरुण की सात अग्रमहिषियाँ हैं। ९५. देवेन्द्र देवराज ईशान के लोकपाल महाराज सोम की सात अग्रमहिषियाँ हैं। ९६. देवेन्द्र देवराज ईशान के लोकपाल महाराज यम की सात अग्रमहिषियाँ हैं।
94. Varun, the lok-paal of Shakra Devendra, the king of gods has seven agramahishis (chief queens). 95. Soma, the lok-paal of Shakra Devendra, the king of gods has seven agramahishis (chief queens). 96. Yama, the lok-paal of Shakra Devendra, the king of gods has seven agramahishis (chief queens). देव-पद DEVA-PAD (SEGMENT OF GODS)
९७. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अभिंतरपरिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। ९८. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो अग्गमहिसीणं देवीणं सत्त पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता। ९९. सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उक्कोसेणं सत्त पलिओवमाई ठिती पण्णत्ता।
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स्थानांगसूत्र (२)
(326)
Sthaananga Sutra (2)
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