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________________ फफफफफफफफफफ 卐 மிதித்தத****************************** 卐 5 ratna (best umbrella ), ( 3 ) Charmaratna (best leather ), ( 4 ) Dand ratna 5 卐 5 (best staff), (5) Asi ratna (best sword), (6) Mani ratna (best bead ) and (7) Kakani ratna (a unique stone). 68. Every Chaturant Chakravarti 5 (emperor of the land reaching the end of all four directions) has seven panchendriya ratna (five-sensed gem or best thing of its class)(1) Senapati ratna (best commander), (2) Grihapati ratna (best household manager ), ( 3 ) Vardhaki ratna (best engineer), (4) Purohit 5 ratna (best priest ), ( 5 ) Stree ratna (best woman ), ( 6 ) Ashva ratna (best horse) and (7) Hasti ratna (best elephant) विवेचन - किसी उत्कृष्ट या सर्वश्रेष्ठ वस्तु को 'रत्न' कहा जाता है। चक्रवर्ती के ये सभी वस्तुएँ अपनी-अपनी जाति में सर्वश्रेष्ठ होती हैं। चक्र, छत्र आदि एकेन्द्रिय पृथ्वीकायिक जीवों के शरीर से निर्मित हैं, अतः उन्हें एकेन्द्रिय रत्न कहा गया है। एकेन्द्रिय रत्नों का प्रमाण इस प्रकार है-चक्र, छत्र और दण्ड - व्याम प्रमाण हैं । अर्थात् तिरछे फैलाये हुए दोनों हाथों की अँगुलियों के अन्तराल जितने बड़े होते हैं । चर्मरत्न दो हाथ लम्बा होता है। असि (खड्ग) बत्तीस अंगुल का, मणि चार अंगुल लम्बा और दो अंगुल चौड़ा होता है। काकणीरत्ल की लम्बाई चार अंगुल होती है । रत्नों का यह माप प्रत्येक चक्रवर्ती के अपने-अपने अंगुल (आत्मांगुल) प्रमाण से है। चक्र, छत्र, दण्ड और असि, इन चार रत्नों की उत्पत्ति चक्रवर्ती की आयुधशाला में तथा चर्म, मणि और काकणीरत्न की उत्पत्ति चक्रवर्ती के श्रीगृह में होती है । सेनापति, गृहपति, वर्धकी, और पुरोहित इन पुरुषरत्नों की उत्पत्ति चक्रवर्ती की राजधानी में होती है। अश्व और हस्ती इन दो पंचेन्द्रिय तिर्यंच रत्नों की उत्पत्ति वैताढ्य (विजयार्ध) गिरि की उपत्यकाभूमि ( तलहटी) में होती है। स्त्रीरत्न की उत्पत्ति फ वैताढ्य पर्वत की उत्तर दिशा में अवस्थित विद्याधर श्रेणी में होती है। इन रत्नों की उपयोगिता इस प्रकार है 255959595955555 5 555 55559595959595959555555559595959552 Jain Education International ( १ ) सेनापतिरत्न - यह चक्रवर्ती का प्रधान सेनापति है जो सभी मनुष्यों को जीतने वाला और अपराजेय होता है। (२) गृहपतिरत्न - यह चक्रवर्ती के गृह की सदा सर्वप्रकार से समुचित व्यवस्था करता है और उनके घर के भण्डार को सदा धन-धान्य से भरा-पूरा रखता है । ( ३ ) पुरोहितरत्न - यह 5 राजपुरोहित चक्रवर्ती के शान्ति-कर्म आदि कार्य करता है तथा युद्ध के लिए प्रयाण-काल आदि बतलाता है । (४) हस्तिरत्न - यह चक्रवर्ती की गजशाला का सर्वश्रेष्ठ हाथी होता है और सभी मांगलिक फ्र अवसरों पर चक्रवर्ती इसी पर सवार होकर निकलता है। (५) अश्वरत्न - यह चक्रवर्ती की अश्वशाला 卐 का सर्वश्रेष्ठ अश्व होता है और युद्ध या अन्यत्र दूर जाने में चक्रवर्ती इसका उपयोग करता है। फ्र (६) वर्धकीरत्न - यह सभी बढ़ई, मिस्त्री या कारीगरों का प्रधान, गृहनिर्माण में कुशल, नदियों को पार 5 करने के लिए पुल निर्माणादि कराने वाला श्रेष्ठ अभियन्ता ( इंजीनियर) होता है। (७) स्त्रीरत्न - यह चक्रवर्ती के विशाल अन्तःपुर में सर्वश्रेष्ठ सौन्दर्य वाली पट्टरानी होती है। (८) चक्ररत्न - यह सभी आयुधों स्थानांगसूत्र (२) Sthaananga Sutra (2) (314) फ्र 5 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org.
SR No.002906
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages648
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size20 MB
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