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The sixth reason indicates that if the ascetics are to carry the body to i an isolated spot they should do it observing complete silence. A detailed i description of the ancient tradition on this subject is available in
Brihatkalp Bhashya. (see Thanam, pp. 688-89)
छद्मस्थ-केवली पद CHHADMASTH-KEVALI-PAD
(SEGMENT OF CHHADMASTH-KEVALI) ४. छ ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं ण जाणति ण पासति, तं जहा-धम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आयासं, जीवमसरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सदं।
एताणि चेव उप्पण्णणाणदंसणधरे अरहा जिणे (केवली) सव्वभावेणं जाणति पासति, तं जहाधम्मत्थिकायं, (अधम्मत्थिकायं, आयासं, जीवमसरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं), सदं।
४. छद्मस्थ पुरुष छह स्थानों को सम्पूर्ण रूप से (समस्त पर्यायों से) न जानता है और न देखता है(१) धर्मास्तिकाय, (२) अधर्मास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय, (४) शरीररहित जीव, (५) पुद्गल परमाणु, (६) शब्द।
जिनको विशिष्ट ज्ञान-दर्शन उत्पन्न हुआ है, वे ज्ञान-दर्शन के धारक अर्हन्त, जिन, केवली सम्पूर्ण रूप से (सर्व पर्यायों से) इनको जानते और देखते हैं-(१) धर्मास्तिकाय, (२) अधर्मास्तिकाय, (३) आकाशास्तिकाय, (४) शरीररहित जीव, (५) पुद्गल परमाणु, (६) शब्द।
4. A chhadmasth (a person in state of karmic bondage) person cannot see or know six things fully (all their possible modes) (1) Dharmastikaya (motion entity), (2) Adharmastikaya (inertia entity), (3) Akashastikaya (space entity), (4) disembodied soul, (5) ultimate particle of matter and (6) shabd (sound).
Arhat, Jina, and Kevali endowed with right knowledge and perception see and know fully (all their possible modes) these five things-(1) Dharmastikaya (motion entity), (2) Adharmastikaya (inertia entity), (3) Akashastikaya (space entity), (4) disembodied soul, (5) ultimate particle of matter and (6) shabd (sound). असंभव-पद ASAMBHAVA-PAD (SEGMENT OF IMPOSSIBLE)
५. छहिं ठाणेहिं सव्वजीवाणं णत्थि इट्टीति वा जुतीति वा जसेति वा बलेति वा वीरिएति वा पुरिसक्कार-परक्कमेति वा, तं जहा-(१) जीवं वा अजीवं करणयाए। (२) अजीवं वा जीवं, करणयाए। (३) एगसमए णं वा दो भासाओ भासिए। (४) सयं कडं वा कम्मं वेदेमि वा मा वा वेदेमि। (५) परमाणुपोग्गलं वा छिंदित्तए वा भिंदित्तए अगणिकाएणं वा समोदहित्तए। (६) बहिआ वा लोगंता गमणयाए।
षष्ठ स्थान
(221)
Sixth Sthaan
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