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heaven into the womb of his mother in Chitra Nakshatra. (and so on). 96. The panch kalyanaks (five auspicious events) in the life of Tirthankar 45
Parshva Naath (twenty third) occurred in Vishakha Nakshatra-(1) He fi descended from heaven into the womb of his mother in Vishakha
Nakshatra. (and so on). __९७. समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे होत्था, तं जहा-(१) हत्थुत्तराहिं चुते चइत्ता गभं वक्कंते। (२) हत्थुत्तराहिं गभाओ गभं साहरिते। (३) हत्थुत्तराहिं जाते। (४) हत्थुत्तराहिं मुंडे
भवित्ता (अगाराओ अणगारित) पवइए। (५) हत्थुत्तराहिं अणंते अणुत्तरे (णिव्वाघाए णिरावरणे # कसिणे पडिपुण्णे) केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे।
__९७. (२४) श्रमण भगवान् महावीर के पाँच कल्याणक हस्तोत्तर (उत्तरा फाल्गुनी) नक्षत्र में हुए, # जैसे-(१) हस्तोत्तर नक्षत्र में स्वर्ग से च्युत हुए और च्युत होकर गर्भ में आये। (२) हस्तोत्तर नक्षत्र में
देवानन्दा के गर्भ से त्रिशला के गर्भ में साहरण हुआ। (३) हस्तोत्तर नक्षत्र में जन्म लिया। (४) हस्तोत्तर
नक्षत्र में अगार से अनगारिता में प्रव्रजित हुए। (५) हस्तोत्तर नक्षत्र में अनन्त, अनुत्तर, निर्व्याघात, । निरावरण, सम्पूर्ण, परिपूर्ण केवल वर ज्ञान-दर्शन समुत्पन्न हुआ।
97. The panch kalyanaks (five auspicious events) in the life of Shraman Bhagavan Mahavir occurred in Hastottara (Uttaraphalguni)
Nakshatra-(1) He descended from heaven into the womb of his mother fi in Hastottara Nakshatra. (2) He was transplanted from the womb of
Devananda to that of Trishala in Hastottara Nakshatra. (3) He was born in Hastottara Nakshatra. (4) He tonsured his head, renounced his household and got initiated in Hastottara Nakshatra. (5) He attained infinite, unmatched, unrestricted, unveiled, perfect and supreine Kevaljnana and keval-darshan) in Hastottara Nakshatra.
विवेचन-भगवान महावीर का निर्वाण स्वाति नक्षत्र में हुआ था। जबकि अन्य तीर्थंकरों के च्यवन से निर्वाण तक एक ही नक्षत्र में हुए।
Elaboration-Bhagavan Mahavir got nirvana in Swati Nakshatra whereas all other above said Tirthankars got their descent to nirvana in the same nakshatra.
॥ पंचम स्थान का प्रथम उद्देशक समाप्त ॥ • END OF THE FIRST LESSON
नागना
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ב
ב
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नाममा नागानामा
पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक
(137)
Fifth Sthaan : First Lesson
19595555555555555555555555555
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