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suffering) up to Vaimanik gods depending on dandak-specific number of leshyas.
२११. एगा कण्हलेसाणं कण्हपक्खियाणं वग्गणा। २१२. एगा कण्हलेसाणं सुक्कपक्खियाणं वग्गणा। २१३. जाव वेमाणियाणं। जस्स जति लेसाओ एए अट्ठ, चउवीसदंडया।
२११. कृष्णलेश्या वाले कृष्णपाक्षिक जीवों की वर्गणा एक है। २१२. कृष्णलेश्या वाले शुक्लपाक्षिक जीवों की वर्गणा एक है। २१३. इसी प्रकार जिनमें जितनी लेश्याएँ होती हैं, उसके अनुसार कृष्णपाक्षिक और शुक्लपाक्षिक जीवों की वर्गणा एक-एक है। ऊपर बतलाये गये ये चौबीस दण्डकों की वर्गणा के आठ प्रकरण हैं।
211. There is one category of krishnapakshik jivas with krishna leshya (dark-sided beings having black complexion of soul). 212. There is one category of shuklapakshik jivas with krishna leshya (bright-sided beings having black complexion of soul). 213. In the same way there is one category each for every leshya present in krishnapakshik and shuklapakshik beings. Thus there are eight groups or categories of the aforesaid twenty four dandaks (places of suffering).
विवेचन-लेश्या पद में लेश्याओं से सम्बन्धित वर्गणा का कथन है। 'लेश्या' जैनदर्शन का विशेष पारिभाषिक शब्द है। आचार्यों ने अनेक प्रकार से इसकी व्याख्याएँ की हैं। आचार्य अभयदेवसूरि ने कहा है-"जिस योग परिणति के द्वारा जीव कर्म से लिप्त होता है, वह लेश्या है।" लेश्या के दो भेद हैं-भाव लेश्या और द्रव्य लेश्या। कषाय जनित भावों की प्रवृत्ति भाव लेश्या है तथा शरीर के कृष्ण-नील आदि वर्णों को द्रव्य लेश्या कहा गया है। दोनों ही लेश्या के कृष्ण लेश्या आदि छह भेद हैं। उत्तराध्ययनसूत्र में इनका विस्तृत विवेचन हमने किया है। आधुनिक विज्ञान भी इस विषय में काफी खोज कर रहा है। तेजोवलय, आभामण्डल (आरा) आदि को लेश्या के रूप में माना जा सकता है।
छह लेश्याओं में से कृष्ण, नील और कापोत ये तीन अशुभ लेश्याएँ हैं तथा तेज, पद्म और शुक्ल ये तीन शुभ लेश्याएँ हैं। प्रस्तुत लेश्यापद में जिन-जिन जीवों की जो-जो लेश्या समान होती हैं, उनउन जीवों की समानता की दृष्टि से एक वर्गणा कही गई है।
Elaboration-The segment of leshya deals with leshya-related categorization. Leshya is a unique Jain technical term. Preceptors have defined it many ways. Acharya Abhayadev Suri defines this term as"The association through which a being attracts bondage of karmas is called leshya.” There are two categories of leshya-bhaava leshya (spiritual complexion) and dravya leshya (physical complexion). The attitude inspired by thoughts or feelings triggered by passions is bhaava leshya. The black, blue and other hues of the complexion of a body are called dravya leshya. Each of these leshyas are of aforesaid six kinds
प्रथम स्थान
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First Sthaan
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