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45 abhavasiddhik (unworthy of getting liberated). This worthiness and 41
unworthiness is inherent and not caused by some karma. Therefore, this 41 quality is unalterable. A worthy being can never become unworthy and
vice versa. Like distinction of soul and matter the distinction of worthy of liberation and unworthy of liberation is eternal दृष्टि-पद DRISHTI-PAD (SEGMENT OF PERCEPTION)
१७०. एगा सम्मद्दिट्ठियाणं वग्गणा। १७१. एगा मिच्छद्दिट्ठियाणं वग्गणा। १७२. एगा सम्मामिच्छद्दिवियाणं वग्गणा। १७३. एगा सम्मद्दिवियाणं णेरइयाणं वग्गणा। १७४. एगा म मिच्छदिष्टियाणं णेरइयाणं वग्गणा। १७५. एगा सम्मामिच्छद्दिट्ठियाणं णेरइयाणं वग्गणा।
१७६. एवं जाव थणियकुमाराणं वग्गणा। १७७. एगा मिच्छिद्दिट्ठियाणं पुढविक्काइयाणं वग्गणा।
१७८. एवं जाव वणस्सइकाइयाणं। म १७९. एगा सम्मद्दिट्ठियाणं बेइंदियाणं वग्गणा। १८०. एगा मिच्छद्दिट्ठियाणं बेइंदियाणं वग्गणा।
१८१. एगा सम्मद्दिट्ठियाणं तेइंदियाणं वग्गणा। १८२. एगा मिच्छद्दिट्ठियाणं तेइंदियाणं वग्गणा। ॐ १८३. एगा सम्मद्दिट्ठियाणं चउरिंदियाणं वग्गणा। १८४. एगा मिच्छद्दिट्ठियाणं चउरिदियाणं वग्गणा। १८५. सेसा जहा रइया जाव एगा सम्मामिच्छद्दिट्ठियाणं वेमाणियाणं वग्गणा।
१७०. सम्यादृष्टि जीवों की वर्गणा एक है। १७१. मिथ्यादृष्टि जीवों की वर्गणा एक है। ॐ १७२. सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवों की वर्गणा एक है। १७३. सम्यग्दृष्टि नारकीय जीवों की वर्गणा एक है। + १७४. मिथ्यादृष्टि नारकीय जीवों की वर्गणा एक है। १७५. सम्यग्मिथ्यादृष्टि नारकीय जीवों की वर्गणा
एक है। १७६. इस प्रकार असुरकुमार से लेकर स्तनितकुमार तक के सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और 卐 सम्यग्मिथ्यादृष्टि देवों की वर्गणा एक-एक है। १७७. पृथ्वीकायिक मिथ्यादृष्टि जीवों की वर्गणा एक है। के
१७८. इसी प्रकार अप्कायिक जीवों से लेकर वनस्पतिकायिक तक के जीवों की वर्गणा एक-एक है। म १७९. सम्यग्दृष्टि द्वीन्द्रिय जीवों की वर्गणा एक है। १८०. मिथ्यादृष्टि द्वीन्द्रिय जीवों की वर्गणा के
एक है। १८१. सम्यग्दृष्टि त्रीन्द्रिय जीवों की वर्गणा एक है। १८२. मिथ्यादृष्टि त्रीन्द्रिय जीवों की वर्गणा ॐ एक है। १८३. सम्यग्दृष्टि चतुरिन्द्रिय जीवों की वर्गणा एक है। १८४. मिथ्यादृष्टि चतुरिन्द्रिय जीवों की ॐ वर्गणा एक है। १८५. सम्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि और सम्यग्मिथ्या दृष्टि शेष दण्डकों (पंचेन्द्रिय तिर्यग्योनिक, - मनुष्य, वाणव्यन्तर, ज्योतिष्क और वैमानिक) की वर्गणा एक-एक है।
170. There is one category of samyagdrishti jivas (beings with right perception/faith). 171. There is one category of mithyadrishti jivas (beings with wrong perception/faith), 172. There is one category of samyagmithyadrishti jivas (beings with right-wrong or mixed perception/faith). 178. There is one category of samyagdrishti naarakiya .jivas (infernal beings with right perception/faith). 174. There is one
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स्थानांगसूत्र (१)
(26)
Sthaananga Sutra (1)
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