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का चित्र परिचय २ |
Illustration No. 2 दण्ड का स्वरूप १. एगे दण्डे
दसरों को पीडा पहँचाना या अपने आत्म-गणों को क्षीण करना, इस क्रिया का नाम दण्ड है। स्वरूप की दृष्टि से दण्डित करने की क्रिया दण्ड एक ही है। किन्तु व्यवहार में उसके विविध भेद भी हो जाते हैं। जैसे द्रव्य दण्ड है-लाठी, तलवार, बन्दूक आदि। भाव दण्ड है-मन के मलिन विचार। मुँह से कटु व पापकारी भाषा की चिनगारियाँ निकालना वचन दण्ड है। किसी जीव का घात करना, चोट मारना या अपने पाँव आदि से जीवों को कुचलना यह काय दण्ड है। चित्र में दण्ड के विभिन्न प्रकार बताये हैं।
-स्थान १, सूत्र ३ तथा स्थान ३, सूत्र २४ २. अपर्यादाय विकुर्वणा
बाहरी पुद्गलों को लिए बिना अपनी अन्तःस्थित चेष्टा या मुद्रा आदि से अथवा शरीर के स्वभावानुसार जो-जो विविध विक्रियाएँ होती हैं, जैसे-मुख की भिन्न-भिन्न मुद्राएँ बनाना, साँप का फनों का विभिन्न रूप में उभारना या गिरगिट द्वारा शरीर के नाना रंग रूप बदलना अथवा बीज का क्रमशः वृद्धि होते-होते अंकुर, पौधों का वृक्ष रूप में परिणत होना आदि यह सभी अपर्यादाय विकुर्वणा के उदाहरण हैं।
-स्थान १, सूत्र४-६
३. अलोक
शून्य आकाश की दृष्टि से अलोक भी एक है, असीम है। उसके मध्य में स्थित षड्द्रव्यात्मक रूप वाला १४ राजू प्रमाण लोक एक है।
-स्थान १, सूत्र ५-६ DAND (PUNISHMENT OR ABUSE) 1. Ege dande
The act of inflicting pain on others or harming one's own spiritual qualities is called dand. In terms of basic form it is just one. However, in context of its application it has numerous categories. For example Dravya dand (physical punishment) is to hit with stick, sword and gun (etc.). Bhaava dand (mental punishment) is ignoble thoughts. Vachan dand (vocal punishment) is bitter and sinful speech. To kill, beat or crush beings is Kaya dand (bodily punishment). The illustration shows different kinds of dand.
--Sthaan 1, Sutra 3 and Sthaan 3, Sutra 24 2. Aparyadaaya vikurvana
The variety of transformations taking place without acquiring any outside matter and only with some effort or naturally are called non-acquisitive transmutation. For example--different facial expressions, raising of hood by a snake, changing of the colour of body in various hues by chameleon, gradual sprouting of a seed and growing of plant into a tree.
-Sthaan 1, Sutra 4-6 3. Alok
In terms of empty space Alok (unoccupied space) is also one, endless. At its center is located one Lok (occupied space) having six entities and a spread of 14 Rajju (a linear __measure).
-Sthaan 1, Sutra 5-6
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