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म तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्डिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं जहा-काले, महाकाले, ॐ वेलंबे, पभंजणे।
३२९. जम्बूद्वीप द्वीप की बाहरी वेदिका के अन्तिम भाग से चारों दिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर ॐ पंचानवै हजार योजन जाने पर चार महापाताल (कलश) अवस्थित हैं, जो बहुत विशाल एवं बड़े घड़े के ।
समान आकार वाले हैं। उनके नाम इस प्रकार हैं-(१) वड़वामुख (पूर्व में), (२) केतुक (दक्षिण में), (३) यूपक (पश्चिम में), (४) ईश्वर (उत्तर में)।
उन पर पल्योपम की स्थिति वाले महर्धिक चार देव रहते हैं-(१) काल, (२) महाकाल, ॐ (३) वेलम्ब, (४) प्रभंजन।
329. Ninety five thousand Yojans (a unit of eight miles) away from the edge of the outer vedika (plateau) of Jambu Dveep there are four Mahapatal Kalash in four directions in Lavan Samudra. These are gigantic and pitcher shaped. There names are—(1) Vadavamukh (in the east), (2) Ketuk (in the south), (3) Yupak (in the west), and (4) Ishvar (in the north).
On these reside four gods (Mahardhik) having great wealth, ...and so on up to... life span of one Palyopam (a metaphoric unit of time)(1) Kaal, (2) Mahakaal, (3) Velamb, and (4) Prabhanjan. आवास-पर्वत-पद AVAS-PARVAT-PAD (SEGMENT OF ABODE MOUNTAINS)
३३०. जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ चउद्दिसिं लवणसमुदं बायालीसंबायालीसं जोयणसहस्साई ओगाहेत्ता, एत्थ णं चउण्हं वेलंधरणागराईणं चत्तारि आवासपव्यता पण्णत्ता, तं जहा-गोथूभे, उदओभासे, संखे, दगसीमे। .
तत्थ णं चत्तारि देवा महिडिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं जहा-गोथूभे, सिवए, संखे, मणोसिलए।
३३०. जम्बूद्वीप द्वीप की बाहरी वेदिका के अन्तिम भाग से चारों दिशाओं में लवणसमुद्र के भीतर बयालीस-बयालीस हजार योजन जाने पर वेलंधर नागराजों के चार आवास-पर्वत हैं-(१) गोस्तूप, ॐ (२) उदावभास, (३) शंख, (४) दकसीम।
उनमें पल्योपम की स्थिति वाले यावत् महर्धिक चार देव रहते हैं-(१) गोस्तूप, (२) शिवक, 9 (३) शंक, (४) मनःशिलाक।
330. Located forty two five thousand Yojans away from the edge of the outer vedika (plateau) of Jambu Dveep there are four Avas. parvats (abode mountairs) of Velandhar Naagrajas in four directions
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स्थानांगसूत्र (१)
(472)
Sthaananga Sutra (1)
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