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म ३०८. जम्बूद्वीप द्वीप में महाविदेह क्षेत्र चार भागों में विभक्त है-(१) पूर्वविदेह, (२) अपरविदेह,
(३) देवकुरु, (४) उत्तरकुरु। 6 308. Mahavideh area in Jambu Dveep is divided into four partsfi (1) Purva Videh, (2) Apar Videh, (3) Deva Kuru, and (4) Uttar Kuru.
पर्वत-पद PARVAT-PAD (SEGMENT OF MOUNTAIN) ____३०९. सब्बे वि णं णिसढ-णीलवंत-वासहरपव्वता चत्तारि जोयणसयाई उठं उच्चत्तेणं, चत्तारि गाउसयाइं उब्बेहेणं पण्णत्ता।
३०९. सभी निषध और नीलवंत वर्षधर पर्वतों की ऊँचाई चार सौ योजन की है और भूमिगत में गहराई चार सौ कोश की है।
309. The height of all the Nishadh and Neelavant Varshadhar mountains is four hundred Yojans (a unit of eight miles) and their depth fi from ground level is four hundred Kosh (a unit of two miles).
३१०. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ययस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए उत्तरकूले चत्तारि वक्खारपब्वया पण्णत्ता, तं जहा-चित्तकूडे, पम्हकूडे, णलिणकूडे, एगसेले। ३११. जंबुद्दीवे दीवे । मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महाणदीए दाहिणकूले चत्तारि वक्खारपचया पण्णत्ता, तं
जहा-तिकूडे, वेसमणकूडे, अंजणे, मातंजणे। म ३१०. जम्बूद्वीप द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व भाग में सीता महानदी के उत्तरी किनारे पर चार # वक्षस्कार पर्वत हैं-(१) चित्रकूट, (२) पद्मकूट, (३) नलिनकूट, (४) एकशैलकूट। ३११. जम्बूद्वीप । द्वीप में मन्दर पर्वत के पूर्व भाग में सीता महानदी के दक्षिणी किनारे पर चार वक्षस्कार पर्वत हैं। (१) त्रिकूट, (२) वैश्रमणकूट, (३) अंजनकूट, (४) मातांजनकूट।
310. In Jambu Dveep in the eastern part of Mandar mountain there are four Vakshaskar mountains on the northern bank of great river Sita5 (1) Chitrakoot, (2) Padmakoot, (3) Nalinakoot, and (4) Ekashailakoot.
311. In Jambu Dveep in the eastern part of Mandar mountain there are four Vakshaskar mountains on the southern bank of great river Sita(1) Trikoot, (2) Vaishramankoot, (3) Anjanakoot, and (4) Matanjanakoot.
३१२. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओदाए महाणदीए दाहिणकूले चत्तारि वक्खारपव्वया पण्णत्ता, तं जहा-अंकावती, पम्हावती, आसीविसे, सुहावहे। ३१३. जम्बूद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमे णं सीओदाए महाणदीए उत्तरकूले चत्तारि वक्खारपव्वया पण्णत्ता, तं जहा-चंदपव्वते, सूरपचते, देवपव्वते, णागपव्यते। ३१४. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स चउसु विदिसासु चत्तारि वक्खारपव्वया पण्णत्ता, तं जहा-सोमणसे, विज्जुप्पभे, गंधमायणे, मालवंते।
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चतुर्थ स्थान
(463)
Fourth Sthaan
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