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| चित्र परिचय १६ ।।
Illustration No. 16 कषाय : स्वरूप और परिणाम (१) मान-अहंकार के चार स्तर-१. शैल स्तम्भ-पत्थर के स्तम्भ के समान अत्यन्त कठोर। २. अस्थि स्तम्भहड्डियों के बने स्तम्भ के समान कुछ कम कठोर। ३. काष्ठ स्तम्भ-लकड़ी के स्तम्भ के समान कुछ मृदु। ४. तिनिशलता स्तम्भ-घास के बने स्तम्भ के समान मृदु। शीघ्र झुक जाने वाला।
(२) माया-कपट के चार स्तर-१. वंशीमूल केतन-बाँस की जड़ के समान। २. मेढ़े के सींग की तरह 9 घुमावदार किन्तु कुछ कम वक्रता वाला, हृदय में गहरी गाँठें रखने वाला। ३. गोमूत्र की धारा के समान साधारण वक्रतायुक्त। ४. अवलेखनिका-चीढ़ की लकड़ी के छिलकों के समान अति अल्प वक्रता वाला।
(३) लोभ के चार स्तर-१. कृमि राग रक्त-किर्मिजी रंग के समान अत्यन्त गाढ़ा रंग वाला गहन लोभ। २. कर्दम राग-कीचड़ के रंग के समान गाढा रंग वाला लोभ। ३. खंजन राग-काजल के रंग के समान सामान्य गाढ़ा लोभ। ४. हरिद्रा राग-हल्दी के रंग के समान सुशोध्य, शीघ्र मिट जाने वाला हल्का लोभ।
प्रथम कोटि के तीनों कषाय अनन्तानुबन्धी हैं, इनमें मृत्यु प्राप्त करने वाला नरकगामी होता है। द्वितीय कोटि के कषाय अप्रत्याख्यानवरण हैं, इनमें मृत्यु प्राप्त करने वाला तिर्यंचगति में जाता है। तृतीय कोटि क प्रत्याख्यानवरण है, इनमें मरकर जीव मनुष्यगति प्राप्त करता है। चतुर्थ कोटि का संज्वलन कषाय है, इस दशा में मृत्यु प्राप्त करने वाला देवगति में जाता है। चित्र में तीनों कषाय का स्वरूप तथा उनके परिणाम दर्शाये हैं।
-स्थान ४ सूत्र २८२-२८४ (क्रोध कषाय का वर्णन भाग २, सूत्र ३५४ पर है)
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PASSIONS : FORM AND FRUITS (1) Four levels of maan (conceit)-1. Like shail stambh-extremely hard like a rock-pillar. 2. Like asthi stambh---very hard like a bone-pillar. 3. Like daru stambh-hard like a wooden pillar. 4. Like tinish-lata stambh-little hard and pliable like a pillar made of hay.
(2) Four levels of maya (deceit)-1. Like vamshimool ketan-extremely crooked like bamboo-root. 2. Like mendhravishan-very crooked like horns of ram; one who carries a grudge. 3. Like gomutrika-crooked like urine mark of a walking ox. 4. Like avalekhanika---little crooked like chiseled thin skin of bamboo.
(3) Four levels of lobh (greed)-1. Like krimiragarakt-extremely hard to remove like a spot of crimson dye. 2. Like kardamaraga-very hard to remove like a spot of slime. 3. Like khanjanaraga-hard to remove like a spot of soot. 4. Like haridraraga-little hard to remove like a spot of turmeric.
All the three passions of the first grade are anantanubandhi and lead to birth in hell. Those of the second grade are apratyakhyanavaran and lead to birth as an animal. Those of the third grade are pratyakhyanavaran and lead to birth as a human being. Those of the third grade are sanjvalan and lead to birth as a divine being. The illustration shows three passions and their consequences.
--Sthaan 4, Sutra 282-284 (Anger has been described in Part 2, aphorism 354)
SUNDALOTATOPATOPATOVAYOROPRIORROPROPARDARDARODARDARBAR
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