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555558 dimensions)-(1) Saudharma kalp, (2) Ishan kalp, (3) Sanatkumar kalp, and (4) Mahendra kalp.
विवेचन-उक्त चारों सूत्रों में जिस तमस्काय का निरूपण किया गया है वह जलकाय का सघन अन्धकार रूप में परिणत समूह है। इस जम्बूद्वीप से आगे असंख्यात द्वीप-समुद्र पार करने पर अरुणवर द्वीप आता है। उसकी बाहरी वेदिका के अन्त में अरुणवर समुद्र है। उसके भीतर ४२ हजार योजन जाने 卐 पर एक प्रदेश विस्तृत गोलाकार अन्धकार की एक श्रेणी ऊपर की ओर उठती है जो १,७२१ योजन ऊँची जाने के बाद तिरछी विस्तृत होती हुई सौधर्म आदि चारों देवलोकों को घेरकर पाँचवें ब्रह्मलोक के रिष्ट विमान तक चली गई है। उसके पुद्गल कृष्णवर्ण के हैं, अतः उसे तमस्काय कहा जाता है। प्रथम सूत्र में है उसके चार नाम सामान्य अन्धकार के और दूसरे सूत्र में उसके चार नाम महान्धकार के वाचक हैं। लोक में इसके समान अत्यन्त काला कोई दूसरा अन्धकार नहीं है, इसलिए उसे लोकतम और लोकान्धकार कहते हैं। देवों के शरीर की दिव्य प्रभा भी वहाँ पर हतप्रभ हो जाती है, अतः उसे देवतम और देवान्धकार कहते ॥ हैं। बाहर की वायु भी उसमें प्रवेश नहीं पा सकती, अतः उसे वातपरिघ और वायु टकराती हुई संक्षोभ के स्खलित हो जाती है, इसलिए वातपरिघक्षोभ कहा है। देवों के लिए भी वह दुर्गम है, अपराधी देवों के छिपने का स्थान है, अतः वह देवारण्य कहा जाता है। (भगवतीसूत्र, शतक ७ में विस्तृत वर्णन देखें) आधुनिक के वैज्ञानिकों ने संसार में अनेक ब्लेक होल्स का पता लगाया है, तमस्काय के साथ ब्लेक होल की तुलना करके देखा जा सकता है। तमस्काय की स्थिति का चित्र इस प्रकार बनता है
Elaboration—The tamaskaya (agglomerative entity of darkness) discussed in aforesaid four aphorisms is the transformed state of water bodies into agglomerative form of dense darkness. After innumerable island-sea pairs beyond this Jambu continent lies Arunavar continent. At the end of its outer vedika (central plateau) is Arunavar sea. Crossing 42 thousand Yojans in that sea comes a large round area of darkness 45 rising into the space. Going perpendicular for 1,721 Yojans it turns it expands to envelope four divine dimensions including Saudharma kalp i and goes up to Risht Vimaan of Brahmlok kalp. As its constituent particles are of black colour it is called tamaskaya. Its four names listed in the first aphorism are synonyms of simple darkness and those in the second aphorism are synonyms of dense darkness. As there is nothing darker than this in this universe it is called lok-tam and lokandhakar. The divine radiance of gods also diffuses there, therefore it is called devatam and devandhakar. As outside air cannot penetrate it, it is called vaat-parigh. On colliding with it outside air disintegrates, therefore it is called vaat-parigh-kshobh. As it is difficult for gods to enter it and as it acts as a refuge for criminal gods it is called devaranya (for more details refer to Bhagavati Sutra 7). Modern scientists have found many black holes in the universe. It would be interesting to compare tamaskaya and black holes. The illustration of tamaskaya is as under
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चतुर्थ स्थान
(447)
Fourth Sthaan
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