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# वाम-दक्षिण-पद VAAM-DAKSHN-PAD (SEGMENT OF RIGHT AND LEFT)
२६९. चत्तारि संवुक्का पण्णत्ता, तं जहा-वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, # दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे णाममेगे दाहिणावत्ते। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं
जहा-वामे णाममेगे वामावत्ते, वामे णाममेगे दाहिणावत्ते, दाहिणे णाममेगे वामावत्ते, दाहिणे # णाममेगे दाहिणावत्ते। म २६९. शंख चार प्रकार के होते हैं-(१) वाम और वामावर्त-कोई शंख जाति से या गुण से वाम-(वाम पार्श्व में स्थित या प्रतिकूल गुण वाला) और वामावर्त (आकृति से बाईं ओर घुमाव वाला) होता है, (२) वाम और दक्षिणावर्त-कोई शंख वाम और दक्षिणावर्त (दाईं ओर घुमाव वाला) होता है, (३) दक्षिण
और वामावर्त-कोई शंख दक्षिण (अनुकूल गुण वाला) और वामावर्त होता है, तथा (४) दक्षिण और 9 दक्षिणावर्त-कोई शंख दक्षिण और दक्षिणावर्त होता है।
इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) वाम और वामावर्त-कोई पुरुष वाम (स्वभाव से प्रतिकूल) और वामावर्त (प्रवृत्ति से) भी प्रतिकूल होता है। (शंख की तरह चार भंग जानने चाहिए) fi 269. Shankhs (conch-shells) are of four kinds—(1) Vama and
vamavart-some shankh (conch-shell) is vama (left or bad) in terms of class and quality and vamavart (with a left turn in shape). (2) Vama and
dakshinavart-some shanbh is bad in quality but dakshinavart (with a ॐ right turn in shape). (9) Dakshin and vamavart-some shankh is good in 451 quality but vamavart (with a left turn in shape). (4) Dakshin and
dakshinavart--some shankh is good in quality and dakshinavart (with a
right turn in shape). 15. In the same way purush (man) are of four kinds—(1) Vama and
vamavart-some purush is vama (bad) by nature and vamavart (bad in action). Remaining alternatives should be read as in case of conch-shell.
विवेचन-शंख के मुख्य दो प्रकार हैं-वाम और दक्षिण। दक्षिण शंख-मंगल कार्यों में शुभ व अनुकूल + प्रभाय याला माना जाता है। बाम शंख-अमंगलिक व प्रतिकूल प्रभाव वाला होता है। वाम शंख दो प्रकार के
होते हैं-यामावर्त और दक्षिणावर्त। दक्षिण शंख भी दो प्रकार के होते हैं-दक्षिणावर्त और वामावर्त। जो
आवर्त बाईं ओर घूमा हुआ है अथवा बाईं ओर से आरम्भ होता है, वह वामावर्त, इसके विपरीत दक्षिणावर्त। ॐ वाम और वामावर्त शंख अशुभ व निकृष्ट होता है, दक्षिण व दक्षिणावर्त शंख सर्वोत्तम माना जाता है। र पुरुष के पक्ष में वाम का अर्थ--मिथ्यादृष्टि तथा वामावर्त का अर्थ-आचार की दृष्टि से हीन। दक्षिण का
अर्थ-सम्यग्दृष्टि तथा दक्षिणावर्त का अर्थ-धर्मशील सदाचारी समझना चाहिए। (हिन्दी टीका, पृ.८११) __Elaboration-Conch-shells are mainly of two kinds-vama or of bad
quality and dakshin or of good quality. Dakshin shankh-is believed to 4 be good and favourable for auspicious occasions. Vama shankh is
believed to have inauspicious and unfavourable influence. Vama shankh
चतुर्थ स्थान
(441)
Fourth Sthaan
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