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45 (2) Riju (simple) and vakra (crooked)-some path is straight in 卐 appearance but vakra (crooked) actually. (3) Vakra and riju-some path 卐 is crooked in appearance but straight actually. (4) Vakra and vakrasome path is crooked in appearance and crooked actually as well.
In the same way men are of four kinds-(1) Some man is riju (straight or simple) in appearance and riju (straight forward) actually. 卐 (2) Some man is straight in appearance but vakra (crooked) actually. 4 (3) Some man is crooked in appearance but straight forward actually. 2 (4) Some man is crooked in appearance and crooked actually as well. क्षेम-अक्षेम-पद KSHEM-AKSHEM-PAD (SEGMENT OF PLACID AND DISTURBED)
२६७. चत्तारि मग्गा पण्णत्ता, तं जहा-खेमे णाममेगे खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे। अखेमे + णाममेगे खेमे, अखेमे णाममेगे अखेमे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-खेमे णाममेगे , खेमे, खेमे णाममेगे अखेमे, अखेमे णाममेगे खेमे, अखेमे णाममेगे अखेमे। म २६७. मार्ग चार प्रकार के होते हैं-(१) क्षेम और क्षेम-कोई मार्ग आदि में क्षेम (निरुपद्रव) होता है ॐ और अन्त में भी क्षेम होता है; (२) क्षेम और अक्षेम-कोई मार्ग आदि में क्षेम, किन्तु अन्त में अक्षेम म (उपद्रव वाला) होता है; (३) अक्षेम और क्षेम-कोई मार्ग आदि में अक्षेम, किन्तु अन्त में क्षेम होता है; +
तथा (४) अक्षेम और अक्षेम-कोई मार्ग आदि में भी अक्षेम और अन्त में भी अक्षेम होता है। 卐 इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष आदि में क्षेम, क्रोधादि उपद्रव से + रहित होता है और अन्त में भी क्षेम (क्षमाशील) होता है; (२) कोई आदि में क्षेम होता है, किन्तु अन्त
में अक्षेम; (३) कोई आदि में अक्षेम, किन्तु अन्त में क्षेम; और (४) कोई आदि में भी अक्षेम और अन्त ऊ में भी अक्षेम होता है।
267. Margs (paths) are of four kinds-Kshem and kshem-(1) some marg F is kshem (placid) originally and kshem later as well. (2) Kshem and akshem4 some marg is placid originally but akshem (disturbed) later. (3) Akshem and
kshem--some marg is disturbed originally but placid later. (4) Akshem and akshem-some marg is disturbed originally and later as well.
In the same way men are of four kinds (1) Some man is kshem (placid; free of disturbances like anger) originally and kshem (forgiving) 卐 later. (2) Some man is placid originally but akshem (disturbed) later. 卐 (3) Some man is disturbed originally but placid later. (4) Some man is
disturbed originally and later as well. ॐ २६८. चत्तारि मग्गा पण्णत्ता, तं जहा-खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूवे, अखेमे
णाममेगे खेमरूवे, अखेमे णाममेगे अखेमरूवे। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरूवे, अखेमे णाममेगे खेमरूवे, अखेमे णाममेगे अखेमरूवे।
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चतुर्थ स्थान
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Fourth Sthaan
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