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inspires others to offer him hospitality and does not offer hospitality 41 himself. (3) Some man offers hospitality and inspires others as well to
offer hospitality. (4) Some man neither offers hospitality himself nor expects others to offer hospitality.
114. Men are of four kinds-(1) Some man gives respect (sanman) and does not expect others to give him respect. (2) Some man inspires others to give him respect and does not give respect himself. (3) Some man gives respect and inspires others as well to give respect. (4) Some man neither gives respect himself nor expects others to give respect.
115. Men are of four kinds—(1) Some man does worship (puja) and does not expect others to worship him. (2) Some man inspires others to worship him and does not do worship himself. (3) Some man does worship and inspires others as well to do worship. (4) Some man neither does worship himself nor expects others to do worship. स्वाध्याय-पद SVADHYAYA-PAD (SEGMENT OF STUDY)
११६. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-वाएइ णाममेगे णो वायावेइ, वायावेइ णाममेगे णो वाएइ, एगे वाएइ वि वायावेइ वि, एगे णो वाएइ णो वायावेइ।]
११७. [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-पडिच्छति णाममेगे णो पडिच्छावेति, # पडिच्छावेति णाममेगे णो पडिच्छति, एगे पडिच्छति वि पडिच्छावेति वि, एगे णो पडिच्छति णो पडिच्छावेति।
११८. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-पुच्छइ णाममेगे णो पुच्छावेइ, पुच्छावेइ णाममेगे णो पुच्छइ एगे पुच्छवि वि पुच्छावेइ वि, एगे णो पुच्छइ णो पुच्छावेइ।
११९. [चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-वागरेति णाममेगे णो वागरावेति, वागरावेति मणाममेगे णो वागरेति, एगे वागरेति वि वागरावेति वि, एगे णो वागरेति णो वागरावेति।
१२०. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा-सुत्तधरे णाममेगे णो अत्थधरे, अत्थधरे णाममेगे [णो सुत्तधरे, एगे सुत्तधरे वि अत्थधरे वि, एगे णो सुत्तधरे णो अत्थधरे।]
११६. पुरुष चार प्रकार के होते हैं-(१) कोई पुरुष दूसरों को वाचना देता है, किन्तु दूसरों से वाचना लेता नहीं। (आचार्य/उपाध्याय), (२) कोई दूसरों से वाचना लेता है, किन्तु वाचना देता नहीं। (नव-दीक्षित), (३) कोई दूसरों को वाचना देता भी है और दूसरों से वाचना लेता भी है। (परोपकारी/बहुश्रुत), (४) कोई न दूसरों को वाचना देता है और न दूसरों से वाचना लेता है। (जिनकल्पी या मूर्ख)
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चतुर्थ स्थान
(375)
Fourth Sthaan
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