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________________ f F फ्र in physical terms but straight in appearance. (4) Some man is crooked in physical terms and in appearance as well. F १५. (४) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, F 5 वंकमणे, वंके णाममेगे उज्जुमणे, वंके णाममेगे वंकमणे । ] फ फ १६. ( ५ ) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - उज्जू णाममेगे उज्जुसंकप्पे, उज्जु णाममेगे वंकसंकप्पे, वंके णाममेगे उज्जुसंकप्पे, वंके णाममेगे वंकसंकप्पे । ] १७. ( ६ ) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - उज्जू णाममेगे उज्जुपण्णे, उज्जु णाममेगे 5 वंकपण्णे, वंके णाममेगे उज्जुपण्णे, वंके णाममेगे वंकपण्णे । ] तं जहा—उज्जू णाममेगे उज्जुमणे, उज्जु णाममेगे १८. ( ७ ) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - उज्जू णाममेगे उज्जुदिट्ठी, उज्जु णाममेगे वंकदिट्ठी, वंके णाममेगे उज्जुदिट्ठी, वंके णाममेगे वंकदिट्ठी । ] १९. (८) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - उज्जू णाममेगे उज्जुसीलाचारे, उज्जु णाममेगे वंकसीलाचारे, वंके णाममेगे उज्जुसीलाचारे, वंके णाममेगे वंकसीलाचारे । ] २०. ( ९ ) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - उज्जू णाममेगे उज्जुववहारे, उज्जु णाममेगे कववहारे, वंके णाममेगे उज्जुववहारे, वंके णाममेगे वंकववहारे । ] २१. (१०) [ चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा - उज्जू णाममेगे उज्जुपरक्कमे, उज्जु णाममेगे वंकपरक्कमे, वंके णाममेगे उज्जुपरक्कमे, वंके णाममेगे वंकपरक्कमे । ] १५. [ पुरुष चार प्रकार के होते हैं - (१) कोई पुरुष शरीर से (गति, वाणी, चेष्टा आदि से) ऋजु और ऋजु मन होता है (साधु पुरुष की तरह), (२) कोई शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र मन है (धूर्त्त की तरह), (३) कोई शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु मन (चतुर शासक की तरह), और (४) कोई शरीर से वक्र और वक्र मन होता है (दुर्जन की तरह ) । ] १६. [ पुरुष चार प्रकार के होते हैं - (१) कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु संकल्प (संकल्प पूर्ति में सहज) होता है, (२) कोई शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र संकल्प, (३) कोई शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु 5 संकल्प, और (४) कोई शरीर से वक्र और वक्र संकल्प होता है ।] चतुर्थ स्थान १७. [ पुरुष चार प्रकार के होते हैं - (१) कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजुप्रज्ञ ( तीक्ष्ण बुद्धि) होता है, (२) कोई शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र प्रज्ञा, (३) कोई शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु प्रज्ञा वाला, और (४) कोई शरीर से वक्र और वक्र प्रज्ञा वाला होता है ।] १८. [ पुरुष चार प्रकार के होते हैं - (१) कोई पुरुष शरीर से ऋजु और ऋजु दृष्टि वाला होता है, (२) कोई शरीर से ऋजु, किन्तु वक्र दृष्टि वाला, (३) कोई शरीर से वक्र, किन्तु ऋजु दृष्टि वाला, और (४) कोई शरीर से वक्र और वक्र दृष्टि वाला होता है ।] Jain Education International (333) 2 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5555555 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5555 5 5 For Private & Personal Use Only Fourth Sthaan 5 फ़फ़फ़ 卐 www.jainelibrary.org
SR No.002905
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2004
Total Pages696
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_sthanang
File Size21 MB
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