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म ५. (४) पुरुष चार प्रकार के होते हैं, जैसे-(१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत मन वाला + (उदार) होता है (राजा विक्रम की तरह) [(२) कोई ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत मन वाला, (३) कोई
ऐश्वर्य से प्रणत (हीन), किन्तु उन्नत मन वाला (कवि माघ की तरह), और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत . 卐 और मन से भी प्रणत होता है। - चौथे विकल्प मन के साथ, (५) संकल्प, (६) प्रज्ञा, (७) दृष्टि, (८) शीलाचार, (९) व्यवहार और 9 (१०) पराक्रम; इनमें केवल पुरुष के विषय में ही चार भंग के कथन हैं, वृक्ष के विषय में नहीं, क्योंकि म उनमें मन आदि नहीं होते। ॐ ६. (५) संकल्प आदि की दृष्टि से चतुर्भगी इस प्रकार बनती है-(१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत 5 और उन्नत संकल्प वाला होता है (पुण्डरीक मुनि की तरह), (२) कोई ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत
(हीन) संकल्प वाला (कुण्डरीक की तरह), (३) कोई ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत संकल्प वाला 卐 (पूणिया श्रावक की तरह), और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत और संकल्प से भी प्रणत होता है (निर्धन म और ईर्ष्यालु पुरुष की तरह)। 卐 ७. (६) (१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत प्रज्ञा वाला (बुद्धिमान्) होता है (अभयकुमार
की तरह), (२) कोई ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत प्रज्ञा वाला, (३) कोई ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत ॐ प्रज्ञा वाला (रोहक की तरह), और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत और प्रज्ञा से भी प्रणत होता है।
८. (७) (१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत दृष्टि वाला होता है (विजयकुमार विजया ॐ सेठानी की तरह), (२) कोई ऐश्वर्य से उन्नत और प्रणत दृष्टि वाला (भर्तृहरि की रानी पिंगला की + तरह), (३) कोई ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत दृष्टि वाला, और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत
दृष्टि वाला होता है। म ९. (८) (१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत शील-आचार वाला होता है (चेलना रानी की
तरह), (२) कोई ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत (हीन) शील-आचार वाला, (३) कोई ऐश्वर्य से प्रणत, म किन्तु उन्नत शील-आचार वाला, और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत शील-आचार वाला होता है।
१०. (९) (१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत व्यवहार वाला होता है, (२) कोई ऐश्वर्य से ॐ उन्नत, किन्तु प्रणत व्यवहार वाला, (३) कोई ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत व्यवहार वाला, और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत व्यवहार वाला होता है।
११. (१०) (१) कोई पुरुष ऐश्वर्य से उन्नत और उन्नत पराक्रम वाला होता है (बाहुबली की तरह), (२) कोई ऐश्वर्य से उन्नत, किन्तु प्रणत पराक्रम वाला, (३) कोई ऐश्वर्य से प्रणत, किन्तु उन्नत ॐ पराक्रम वाला, और (४) कोई ऐश्वर्य से प्रणत और प्रणत पराक्रम वाला होता है। (पुरुषों के व्यवहार 卐 सम्बन्धी विविध उदाहरणों के लिए ठाणं आचार्य महाप्रज्ञ जी का परिशिष्ट तथा हिन्दी टीका, पृष्ठ ६५०-६५४ देखें) . 5. (4) Men are of four kinds (1) Some man is unnat (superior) in wealth and unnat man (superior in mind; noble minded or generous) as well like king Vikram. (2) Some man is superior in wealth but pranat
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स्थानांगसूत्र (१)
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