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Elaboration-What type of atonement is prescribed in Agam for
specific category of fault has been discussed in great detail in Vrihatkalp and other Chheda Sutras.
अयोग्यता - पद AYOGYATA-PAD (SEGMENT OF DISQUALIFICATION)
३५६. तओ णो कप्पंति पव्वावेत्ताए, तं जहा - पंडए, वातिए, कीवे । ३५७. एवं मुंडावित्तए, सिक्खवित्तए, उवट्ठावेत्तए, संभुंजित्तए, संवासित्तए ।
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३५८. तओ अवायणिज्जा पण्णत्ता, तं जहा - अविणीए, विगईपडिबद्धे, अविओसवियपाहुडे । ३५९. तओ कप्पंति वाइत्तए, तं जहा - विणीए, अविगइपडिबद्धे, विओसवियपाहुडे ।
पण्णत्ता, तं जहा
३६०. तओ दुसण्णप्पा पण्णत्ता, तं जहा-दु - अदुट्टे, अमूढे, अवुग्गाहिते ।
३६०. (१) दुष्ट, (२) मूढ़ (विवेकशून्य), और (३) व्युद्ग्राहित-कदाग्रही के द्वारा भड़काया हुआ, ये तीन दुःसंज्ञाप्य (दुर्बोध्य ) हैं । ३६१. (१) अदुष्ट, (२) अमूढ़, और (३) अव्युद्ग्राहित, तीन सुसंज्ञाप्य (सुबोध्य) हैं।
स्थानांगसूत्र ( १ )
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३५६. तीन को प्रव्रजित नहीं करना चाहिए - (१) नपुंसक, (२) वातिक (तीव्र वात रोग से 5 पीड़ित ), और (३) क्लीव ( वीर्य धारण में अशक्त) को । ३५७. इसी प्रकार उक्त तीन को मुण्डित क करना, शिक्षण देना, महाव्रतों में आरोपित करना, उनके साथ संभोगिक सम्बन्ध रखना और साथ-साथ रहना नहीं चाहिए ।
356. Three should not be initiated (pravrajit) – (1) napumsak (eunuch), 5 (2) vaatik (gravely suffering from disturbed air, one of the three bodyhumours), and (3) weak and impotent. 357. In the same way the aforesaid three are disqualified to be head-tonsured, taught, initiated into great vows, made friends and accepted into a group to live together.
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Sthaananga Sutra (1)
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३५८. (१) अविनीत - उद्दण्ड । (२) विकृति - प्रतिबद्ध - दूध, घी आदि रसों के सेवन में आसक्त 5 (३) अव्यवशमितप्राभृत - कलह को शान्त नहीं करने वाला; ये तीनों वाचना देने के अयोग्य हैं। ३५९. (१) विनीत, (२) विकृति - अप्रतिबद्ध, और (३) व्यवशमितप्राभृत ये तीनों वाचना देने के योग्य हैं। 358. Three do not deserve to be given vaachana ( lessons of फ्र scriptures)—(1) avineet — immodest and insolent, (2) vikrit-pratibaddha- 5 gourmet with extreme liking for milk and milk products, and (3) avyavashamitaprabhrit-one who is unable to pacify his pugnacious tendency. 359. Three deserve to be given vaachana (recitation of scriptures) — (1) vineet-modest, (2) vikrit-apratibaddha- not enslaved of 5 to special liking for tasty food, and (3) vyavashamitaprabhrit-one who pacifies his pugnacious tendency.
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-दुट्टे, मूढे, वुग्गाहिते । ३६१. तओ सुसण्णप्पा 5
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