________________
听听听听听听听听听听听听听听FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFE
ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת
נ ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת ת
से णं भंते ! अकिरिया किं फला ? णिव्वाणफला। से णं भंते ! णिव्वाणे किं फले ? सिद्धिगइ-गमण-पज्जवसाण-फले समणाउसो !
३००. (प्रश्न)-तथारूप श्रमण-माहन की पर्युपासना करने का क्या फल है ? (उत्तर)-आयुष्मन् ! पर्युपासना का फल धर्म-श्रवण है।
(प्रश्न)-भन्ते ! धर्म-श्रवण का क्या फल है ? (उत्तर)-धर्म-श्रवण का फल ज्ञान-प्राप्ति है।
(प्रश्न)-भन्ते ! ज्ञान-प्राप्ति का क्या फल है ? (उत्तर)-ज्ञान-प्राप्ति का फल विज्ञान (हेय-उपादेय का विवेक) है।
[(प्रश्न)-भंते ! विज्ञान का क्या फल है ? (उत्तर)-विज्ञान-प्राप्ति का फल प्रत्याख्यान (पाप का म त्याग करना) है।
(प्रश्न)-भन्ते ! प्रत्याख्यान का क्या फल है ? (उत्तर)-प्रत्याख्यान का फल संयम है।
(प्रश्न)-भन्ते ! संयम का क्या फल है ? (उत्तर)-संयम-धारण का फल अनास्रव (कर्मों के आस्रव का निरोध) है।
(प्रश्न)-भन्ते ! अनास्रव का क्या फल है ? (उत्तर)-अनास्रव का फल तप है। (प्रश्न)-भन्ते ! तप का क्या फल है ? (उत्तर)-तप का फल व्यवदान (कर्म-निर्जरा) है।
(प्रश्न)-भन्ते ! व्यवदान का क्या फल है? (उत्तर)-व्यवदान का फल अक्रिया अर्थात् मन-वचनकाय की हलन-चलन रूप क्रिया या प्रवृत्ति का पूर्ण निरोध है।]
(प्रश्न)-भन्ते ! अक्रिया का क्या फल है ? (उत्तर)-अक्रिया का फल निर्वाण है।
(प्रश्न)-भन्ते ! निर्वाण का क्या फल है ? (उत्तर)-निर्वाण का फल सिद्धगति को प्राप्त कर संसार- परिभ्रमण का अन्त करना है।
॥ तृतीय उद्देशक समाप्त ॥ 300. (Question) Bhante ! What is the fruit of paryupasana (ascetic practices) done by a tatharupa Shraman-mahan (Jain ascetic as fi described in the scriptures) ? (Answer) "Long lived one ! The fruit of ascetic practices is dharma shravan (listening to the sermon).
(Question) Bhante ! What is the fruit of dharma shravan ? (Answer) 4 The fruit of dharma shravan is jnana prapti (acquisition of knowledge). $i
(Question) Bhante ! What is the fruit of jnana pra`pti ? (Answer) The fruit of jnana prapti is vijnana (capacity to discern between acceptable 6 and rejectable).
955555555555555555555555555555555555555555555
नागगगगगगगग
| तृतीय स्थान
(275)
Third Sthaan
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org