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A man is happy, another is unhappy and yet another is neutral thinking that he will hear a sound.
A man is happy, another is unhappy and yet another is neutral having not heard a sound.
A man is happy, another is unhappy and yet another is neutral thinking that he does not hear a sound.
A man is happy, another is unhappy and yet another is neutral thinking that he will not hear a sound.
In the same way six facets each of appearance, smell, taste and touch should be noted.
Thus six divisions each of aforesaid twenty one statements make a total of 127 divisions.
विवेचन - सूत्र १८८ से १९७ तक तथा उसके आगे के आलापकों में पुरिसजात शब्द मनुष्य मात्र के
स्वभाव की विभिन्नता व विचित्रता का सूचक है। संसार में मनुष्य विविध प्रकार की रुचि एवं मनोवृत्ति
5 वाले होते हैं। एक ही घटना, प्रसंग, अनुभूति तथा प्रवृत्ति से कोई मनुष्य प्रसन्न होता है, कोई अप्रसन्न होता
है और कोई तटस्थ रहता है। प्रसन्नता, हर्ष व आनन्द का अनुभव करना सुमनस्कता है। विषाद, खेद व
5 अप्रसन्नता अनुभव करना दुर्मनस्कता है जो उनके प्रति उपेक्षा, उदासीनता, तटस्थता या समभाव रखता है वहन सुमनस है न ही दुर्मन है। सुमनस्कता राग, दुर्मनस्कता द्वेष और तटस्थता समभाव का सूचक है।
उदाहरणस्वरूप- कोई उदार वृत्ति वाला मनुष्य दान देकर प्रसन्न होता है। कंजूस वृत्ति वाला देकर दुःखी होता है। तटस्थ रहने वाला कर्त्तव्य भाव से देकर उस पर न हर्षित होता है और न ही दुःखी ।
कोई अमुक भोजन करके सुख अनुभव करता है, कोई दुःख तथा कोई समभाव रखता है।
उक्त संपूर्ण विवेचन का सारभूत निष्कर्ष बताते हुए सूत्रकार ने कहा है- निस्सीलस्स गरहिता पसत्था पुण सीलवंतस्स - प्रत्येक क्रिया, शीलरहित, दुःशील, अव्रती व मिथ्यादृष्टि के लिए गर्हित (दुःखदायी) हो जाती है किंतु शीलवान (सदाचारी) व्रतयुक्त सम्यग्दृष्टि के लिए वही क्रिया प्रशस्त व लाभकारी सिद्ध होती है। मनुष्य के सुख-दुःख की अनुभूति का आधार वस्तु नहीं, उसका भाव, दृष्टि या चरित्र होता है। शब्द, रूप आदि का भोग शीलरहित के लिए दुःख का कारण है तो शीलवान व्यक्ति के लिए वही सुख के कारण बन जाते हैं ।
उक्त सूत्रों में प्रत्येक क्रिया के तीन-तीन रूप बताये हैं। भूतकाल की पूरक क्रिया (जाकर) वर्तमान काल की (जाता हूँ) और भविष्यत् काल की ( जाऊँगा ) । इस प्रकार प्रत्येक क्रिया के साथ तीन प्रकार की अनुभूति से जीव सुमन, दुर्मन और नोसुमन-नोदुर्मन होता है। शब्द, रूप, रस, गंध और स्पर्श के सम्बन्ध में भी उसी प्रकार तीनों काल की तीन प्रकार की अनुभूति होती है। इस प्रकार सुमन, दुर्मन नोसुमनदुर्मन के ४२ विकल्पों के तीन काल संबंधी ४२ × ३ = १२६ + १ = १२७ विकल्प होते हैं।
तृतीय स्थान
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