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5 आन्तरिक दोनों प्रकार के पुद्गलों को ग्रहण कर की जाने वाली विक्रिया । (२) बाह्य और आन्तरिक 5 दोनों प्रकार के पुद्गलों को ग्रहण किये बिना की जाने वाली विक्रिया । (३) बाह्य और आन्तरिक दोनों 5 प्रकार के पुद्गलों को ग्रहण करके और बिना ग्रहण किये की जाने वाली विक्रिया ।
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४. विक्रिया (विकुर्वणा) तीन प्रकार की है - (१) बाह्य पुद्गलों को ग्रहण करके की जाने वाली 5
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और अग्रहण दोनों के द्वारा की जाने वाली विक्रिया । ६. विक्रिया तीन प्रकार की है- (9) बाह्य
विवेचन - अभयदेवसूरि ने विक्रिया का एक अर्थ विभूषा भी किया है। इस अर्थ में आभूषण आदि
5 प्रसाधन सामग्री से शरीर को विभूषित करना पर्यादाय विकुर्वणा है। बाह्य पुद्गलों को लिए बिना अपने
केश - नख आदि को सँवारना अपर्यादाय विकुर्वणा है तथा दोनों का सम्मिलित तीसरा रूप है। आभ्यन्तरिक विक्रिया के संदर्भ में बाह्य पुद्गलों को ग्रहण किये बिना ही जैसे गिरगिट अपने नाना रंग 5 बना लेता है। सर्प अपने फणों को नाना-नाना अवस्थाओं में प्रदर्शित करता है। शरीर व मुख की विभिन्न अवस्थाएँ बनायी जाती हैं।
विक्रिया | । (२) बाह्य पुद्गलों को ग्रहण किये बिना की जाने वाली विक्रिया । (३) बाह्य पुद्गलों को ग्रहण
और अग्रहण दोनों के द्वारा की जाने वाली विक्रिया ( भवधारणीय शरीर में किंचित् विशेषता उत्पन्न करना) । ५. विक्रिया तीन प्रकार की है- (9) आन्तरिक पुद्गलों को ग्रहण कर की जाने वाली विक्रिया । फ्र
(२) आन्तरिक पुद्गलों को ग्रहण किये बिना की जाने वाली विक्रिया । (३) आन्तरिक पुद्गलों के ग्रहण फ्र
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4. Vikriya (self mutation) is of three kinds – (1) Vikriya done by 5 acquiring external particles. (2) Vikriya done without acquiring external particles. (3) Vikriya done by acquiring as well as without acquiring external particles (to create some special qualities in the incarnation 5 sustaining body). 5. Vikriya (self mutation) is of three kinds – (1) Vikriya 5 done by acquiring internal particles. (2) Vikriya done without acquiring internal particles. (3) Vikriya done by acquiring as well as without acquiring internal particles. 6. Vikriya (self mutation) is of three kinds— 5 (1) Vikriya done by acquiring both external and internal particles. (2) Vikriya done without acquiring both external and internal particles. (3) Vikriya done by acquiring as well as without acquiring both external and internal particles.
Elaboration-According to Abhayadev Suri one of the meanings of the term vikriya is vibhusha (embellishment) also. In this context embellishing one's body with ornaments and other beauty aids is embellishment by acquiring outside particles. To beautify hair, nails etc. without adding any outside matter is embellishment without acquiring outside particles. Doing both these is the aforesaid third form. Mutation with reference to internal particles is something like a chameleon changing its colours or a snake raising its hood in a variety of ways or the variety of postures and shapes displayed by human body and face.
स्थानांगसूत्र (१)
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Sthaananga Sutra (1)
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