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॥ तृतीय स्थान
अध्ययन सार 0 तृतीय स्थान में तीन संख्या से सम्बन्धित विविध प्रकार के विषयों का संकलन है। इसमें अनेक विषय
समाहित हैं, जैसे-अध्यात्म, तत्त्वज्ञान, स्वर्ग-नरक, पुद्गल, श्रमणाचार, श्रावक के मनोरथ, नैतिक, __ साहित्यिक, वैज्ञानिक एवं मनोवैज्ञानिक आदि विविध विषयों का बहुत रोचक और मननीय संकलन
+ प्रकृति सम्बन्धी प्राचीन लोक धारणाओं का भी इसमें कथन है; जैसे-अल्पवृष्टि महावृष्टि के तीन-तीन
कारण। त्रिवर्ग में धर्म, अर्थ एवं काम, साम-दण्ड-भेद के रूप में राजनीति की चर्चा है। मनोविज्ञान सम्बन्धी विषयों में मानव की प्रकृति, स्वभाव की तरतमता आदि का रोचक वर्णन भी है, जैसे तीन
प्रकार के मनुष्य होते हैं-सुमनस्क (अच्छे मन वाले), दुर्मनस्क (बुरे मन वाले), तटस्थ (सूत्र १८८)।। 卐0 कुछ लोग देकर सुख का अनुभव करते हैं, जैसे-उदार। कुछ दान देकर दुःख का अनुभव करते हैं
(कंजूस) और कुछ दोनों में (उपेक्षावृत्ति वाले) रहते हैं (सूत्र २३७)। कुछ लोग भोजन करके सुख का के अनुभव करते हैं (सात्विक मित आहारी), कुछ खाकर दुःख का अनुभव करते हैं (स्वादवश
अहितकर अधिक भोजन करने वाले), कुछ खाकर भी तटस्थ रहते हैं (साधक)। । कहीं-कहीं तो धर्म, राजनीति और इतिहास के निचोड़ रूप बड़े गम्भीर सूत्र हैं, जैसे-कुछ पुरुष युद्ध ____करने के बाद सुख का अनुभव करते हैं (राज्यलोभी विजयी राजा)। कुछ पुरुष युद्ध करने के बाद दुः
ख (पश्चात्ताप) का अनुभव करते हैं, जैसे-कलिंग विजय के बाद अशोक या युद्ध में पराजित होने वाले। कुछ युद्ध के बाद न सुख और न ही दुःख का अनुभव करते हैं (वैतनिक सैनिकों की तरह)।
(सूत्र २६७) 10 इसी प्रकार पशु-पक्षी, प्रकृति, भिक्षु-धर्म आदि सैकड़ों विषयों की सुन्दर विविध त्रिभंगियों का संग्रह
___इस तृतीय स्थान में हुआ है। तृतीय स्थान के चार उद्देशक हैं।
| तृतीय स्थान
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Third Sthaan
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