________________
பூமி**தமி***************************5
१. श्री स्थानांगसूत्र - आचार्य श्री अभयदेव सूरि कृत वृत्ति सहित सम्पादक - मुनि श्री जम्बूविजय जी म. [प्रथम - द्वितीय भाग, वि. सं. २०५९] प्रकाशक - आत्मानन्द जैन सभा, भावनगर २. श्री स्थानांगसूत्र
३. स्थानांगसूत्र
४. ठाणं
सम्पादन में सहायक साहित्य
(मूल संस्कृत छाया मूलार्थ एवं हिन्दी विवेचन )
हिन्दी व्याख्याकार - जैनागम रत्नाकर आचार्य श्री आत्माराम जी म. [प्रथम - द्वितीय भाग, वि. सं. २०३२]
प्रकाशक- आचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशन समिति, लुधियाना
फ़फ़फ़फ़
प्रधान सम्पादक - युवाचार्य श्री मिश्रीमल जी म. 'मधुकर' विवेचक - पं. हीरालाल जी शास्त्री
५. स्थानांग - समवायांग
Jain Education International
[ तृतीय संस्करण, वि. सं. २०५७] प्रकाशक - श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर
सम्पादक, विवेचक - मुनि नथमल (आचार्य श्री महाप्रज्ञ) [वि. सं. २०३३]
प्रकाशक - जैन विश्व भारती लाड़
नोट - प्रस्तुत विवेचन में सन्दर्भ के रूप में उद्धृत ग्रन्थों के इस प्रकार संकेत दिये गये हैं
वृत्ति - आचार्य श्री अभयदेव सूरि कृत संस्कृत वृत्ति
हिन्दी टीका - आचार्य श्री आत्माराम जी म. कृत हिन्दी व्याख्या
संपादक - पं. दलसुखभाई मालवणिया [ईस्वी सन् १९५५]
प्रकाशक - गुजरात विद्यापीठ, अहमदाबाद,
ठाणं - आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी कृत विवेचन एवं टिप्पण
सभी विद्वान् सम्पादकों तथा प्रकाशन संस्थाओं के प्रति हार्दिक कृतज्ञता
सम्पादन हेतु टीका ग्रन्थ उपलब्ध कराने में आचार्य श्री देवेन्द्र मुनि शोध संस्थान, उदयपुर तथा प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर का सहयोग निरन्तर प्राप्त होता रहा है, हार्दिक साधुवाद !
(13)
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org