________________
GROUP
चित्र परिचय ८ ।
Illustration No. 8 जम्बूद्वीप का भौगोलिक परिचय जम्बूद्वीप-असंख्य द्वीप समुद्रों के बीच गोलाकार में एक लाख योजन का जम्बूद्वीप है।। मेरु पर्वत-जम्बूद्वीप के ठीक मध्य में मेरु पर्वत स्थित है। मेरु पर्वत पर चार सुरम्य वन हैं-भद्रशालवन, नन्दनवन, सोमनसवन, पंडकवन।
वर्ष-मेरु पर्वत के दक्षिण में-भरत, हैमवंत, हरिवर्ष, देवकुरु; उत्तर में-ऐरवत, हिरण्यवत, रम्यकवर्ष, उत्तरकुरु; पूर्व-पश्चिम में पूर्व विदेह, पश्चिम विदेह है। कुल १० वर्ष (मानव क्षेत्र हैं)।
वर्षधर पर्वत-मेरु पवर्त के उत्तर में-(१) नीलवंत, (२) रुक्मी, (३) शिखरी तथा दक्षिण में-(१) चुल्लहिमवंत, (२) महाहिमवंत, (३) निषध ये छह वर्षधर पर्वत हैं। चार वृत्त वैताढ्य तथा ३४ दीर्घ वैताढ्य पर्वत हैं।
हृद (द्रह)-मेरु पर्वत के उत्तर में-(१) केसरी, (२) महापौडरीक, (३) पौंडरीक तथा दक्षिण में-(१) पद्म, (२) महापद्म तथा (३) तिगिच्छ द्रह हैं।
नदियाँ-मेरु पर्वत के उत्तर में छह महानदियाँ हैं-नरकांता, नारीकांता, सुवर्णकूला, रूप्यकूला, रक्ता, रक्तवती। दक्षिण में छह महानदियाँ-गंगा, सिन्धु, रोहिता, रोहितांशा, हरिसलिला तथा हरिकांता।
शाश्वत तीर्थ-मेरु पर्वत के उत्तर में ऐरवत क्षेत्र में और दक्षिण में भरत क्षेत्र में मागध, वरदाम और प्रभास तीन-तीन तीर्थ हैं। महाविदेह की प्रत्येक विजय में भी तीन-तीन तीर्थ हैं। इस प्रकार कुल १०२ ऐसे तीर्थ हैं।
लवण समुद्र-जम्बूद्वीप को चारों तरफ से घेरे हुए विशाल लवण समुद्र है। पाताल कलश-लवण समुद्र में जम्बूद्वीप की वेदिका में ९५ हजार योजन भीतर घड़े के आकार के चार महापाताल कलश हैं।
अन्तरद्वीप-शिखरी और हिमवान वर्षधर पर्वतों से चार विदिशा में चार-चार दाढ़ा निकलकर लवण समुद्र में गहरी गई हैं। प्रत्येक दाढ़ा में सात-सात द्वीप हैं। इस प्रकार कुछ छप्पन अन्तरद्वीप हैं।
-स्थान २-१० GEOGRAPHICAL DETAILS OF JAMBUDVEEP Jambudveep-Jambudveep is situated in the middle of innumerable continents and seas.
Meru Mountain-Exactly at the center of Jambudveep is located the Meru mountain. There are four beautiful forests on Meru---Bhadrashalavan, Nandanavan, Saumanasavan and Pandakavan.
Varsh-To the south of Meru-Bharat, Haimavant, Harivarsh and Dev-kuru. To the north-Airavat, Hiranyavat, Ramyagvarsh and Uttar-kuru. To the east and west are Eastern Men Videh and Western Videh. This makes a total of ten Varshas (areas inhabited by humans).
Varsh-dhar Mountains-There are six Varsh-dhar mountains, three to the north of Meru—(1) Nilavant, (2) Rukmi, and (3) Shikhari, and three to the south-(1) Chulla Himavant, (2) Mahahimavant, and (3) Nishadh mountain. There are also four Vritta Vaitadhya mountains and thirty two Deergh Vaitadhya Mountains.
___Hrad (draha)-There are six drahas, three to the north of Meru-(1) Kesari, (2) Mahapaundarik, and (3) Paundarik, and three to the south of Meru-(1) Padma, (2) Mahapadma, and (3) Tingichha.
Rivers-There are twelve great rivers, six to the north of Meru-Narakanta. Narikanta. Suvarnakula, Rupyakula, Rakta and Raktavat, and six to the south-Ganga, Sindhu, Rohita, Rohitansha, Harisalila and Harikanta.
Shashvat Tirtha-To the north of Meru in Airavat area and to the south in Bharat area there are three eternal pilgrimages each. Magadh, Varadam and Prabhas. In every Vijaya of Mahavideh area there are three such centers each. Thus there are in total 102 such Tirthas.
Lavan Samudra-Jambudveep is surrounded by the large Lavan Samudra (ocean).
Patal Kalash-Located ninety five thousand Yojans from the vedika of Jambudveep there are four pitcher shaped Mahapatal Kalash in four directions.
Antardveep-In all the four intermediate directions of Shikhari and Himavan Varsh-dhar mountains there are four branches each extending deep into the Lavan Samudra. In each of these branches there are seven antardveeps (middle islands). Thus the total number of middle islands is fifty six.
-Sthaan2-10
१02R5Rota
OPAQOYATO
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org