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________________ 卐55555555555))) ) )))))))) व्यवहार-ये तीन छेद सूत्र सभी श्रमण-श्रमणियों के लिए विशेष पठनीय हैं। प्रस्तुत भाग में तीनों छेद सत्रों का भाष्य आदि के आधार पर विवेचन है। अंग्रेजी अनुवाद के साथ १५ रंगीन चित्रों सहित प्रकाशित है। १५. सचित्र भगवती सूत्र (भाग १, २) मूल्य १२००/पंचम अंग व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ‘भगवती' के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। इसमें जीव, द्रव्य, पुद्गल, परमाणु, लोक आदि चारों अनुयोगों से सम्बन्धित हजारों प्रश्नोत्तर हैं। यह विशाल आगम जैन तत्त्व विद्या का महासागर है। संक्षिप्त और सुबोध अनुवाद व विवेचन के साथ यह आगम लगभग ६ भाग में पूर्ण होने की सम्भावना है। प्रथम भाग १ से ४ शतक तक तथा १५ रंगीन चित्रों सहित प्रकाशित है। द्वितीय भाग में ५ से ७ शतक सम्पूर्ण तथा ८वें शतक का प्रथम उद्देशक लिया गया है। साथ ही सदा की भाँति भाव पूर्ण १५ रंगीन चित्रों से युक्त है। १६. सचित्र जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र मूल्य ६००/यह छठा उपांग है। इस सूत्र का मुख्य विषय जम्बूद्वीप का विस्तृत वर्णन हैं। जम्बूद्वीप में आये मानव क्षेत्र, पर्वत, नदियाँ, महाविदेह क्षेत्र, मेरु पर्वत तथा मेरु पर्वत की प्रदक्षिणा करते सूर्य-चन्द्र आदि ग्रह नक्षत्र, अवसर्पिणी, उत्सर्पिणी आदि के विस्तृत वर्णन के साथ ही चौदह कुलकर, प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव का चरित्र, सम्राट भरत चक्रवर्ती की षटखण्ड विजय आदि अनेक विषयों का वर्णन भी इस सूत्र में आता है। इसमें दिये रंगीन चित्र जम्बूद्वीप की भौगोलिक स्थिति, सूर्य-चन्द्र आदि ग्रहों की गति समझने में काफी उपयोगी सिद्ध होंगे। भगवान ऋषभदेव के जीवन से जुड़े सुन्दर भावपूर्ण रोचक चित्र पाठकों को मुँह बोलते प्रतीत होंगे। यह सूत्र जैन, भूगोल, खगोल और इतिहास का ज्ञानकोष है। इस प्रकार २१ जिल्दों में २३ आगम तथा कल्प सूत्र प्रकाशित हो चुके हैं। प्राकृत अथवा हिन्दी का साधारण ज्ञान रखने वाले व्यक्ति भी अंग्रेजी माध्यम से जैनशास्त्रों का भाव, उस समय की आचार-विचार प्रणाली आदि को अच्छी प्रकार से समझ सकते हैं। अंग्रेजी शब्द कोष भी दिया गया है। पुस्तकालयों, ज्ञान-भण्डारों तथा संत-सतियों, स्वाध्यायियों के लिए विशेष रूप से संग्रह करने योग्य आगमों का यह प्रकाशन कुछ समय पश्चात् दुर्लभ हो सकता है। इस आगममाला के प्रकाशन में परम श्रद्धेय उत्तर भारतीय प्रवर्तक गुरुदेव भण्डारी श्री पद्मचन्द्र जी म. की अत्यन्त बलवती प्रेरणा रही है। उनके शिष्यरत्न जैन शासन दिवाकर आगमज्ञाता उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्री अमर मुनि जी म. द्वारा सम्पादित है, इनके सह-सम्पादक हैं प्रसिद्ध विद्वान् श्रीचन्द सुराना। अंग्रेजी अनुवादकर्ता हैं श्री सुरेन्द्र बोथरा तथा सुश्रावक श्री राजकुमार जी जैन। परिशिष्ट (587) Appendix 1955555555555555555555555555 For Private & Personal Use Only Jain Education International www.jainelibrary.org
SR No.002903
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages654
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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