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555555555555555 ___हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, भगवन् ! यह इसी प्रकार है'; यों कहकर भगवान गौतम स्वामी म यावत् विचरण करने लगे।
17. (Q.) Bhante ! What is the circumference (chakravaal-vishkambh) of Lavan Samudra (Salt Sea)?
[Ans.] Gautam ! Repeat the description as mentioned earlier (in Jivabhigam Sutra) up to location and nature of Lok.
“Bhante ! Indeed that is so. Indeed that is so.” With these words... and so on up to... ascetic Gautam resumed his activities.
विवेचन : जीवाभिगम में लवणसमुद्र-सम्बन्धी वर्णन संक्षेप में-लवणसमुद्र का संस्थान गोतीर्थ, नौका, + सीप-सम्पुट, अश्वस्कन्ध और वलभी (छप्पर) के जैसा, गोल चूड़ी के आकार का है। उसका चक्रवालविष्कम्भ
२ लाख योजन का है तथा १५,८१,१३९ से कुछ अधिक उसका परिक्षेप (घेरा) है। उसका उद्वेध (गहराई) १
हजार योजन है। इसकी ऊँचाई १६ हजार योजन, सर्वाग्र १७ हजार योजन का है। इतने विस्तृत और विशाल 卐 लवणसमुद्र से अब तक जम्बूद्वीप क्यों नहीं डूबा, इसका कारण है-भरत और ऐरवत क्षेत्रों में स्वभाव से भद्र, + विनीत, उपशान्त, मन्दकषाय, सरल, कोमल, जितेन्द्रिय, भद्र और नम्र अरिहन्त, चक्रवर्ती, बलदेव, चारण,
विद्याधर, श्रमण, श्रमणी, श्रावक, श्राविका एवं धर्मात्मा मनुष्य हैं, उनके प्रभाव से लवणसमुद्र जम्बूद्वीप को फ डुबाता नहीं है, यावत् जलमय नहीं करता यावत् इस प्रकार का लोक का स्वभाव भी है, यहाँ तक कहना + चाहिए। (जीवाभिगमसूत्र, प्रतिपत्ति ३, उद्देशक २, सूत्र १७३; लवणसमुद्राधिकार, पृ. ३२४-३२५)
॥ पंचम शतक : द्वितीय उद्देशक समाप्त ॥ Elaboration-Brief description of Lavan Samudra from Jivabhigam Sutra-The structure of Lavan Samudra is round like gotirtha (cowshed), boat, oyster, horse's neck, thatched roof (round) or bangle. Its
'cumference (chakravaal-vishkambh) is 2,00,000 Yojans. The area i covered is 15,81,139 Yojans. Its depth is 1,000 Yojans. Its average height
is 16,000 Yojans. Its highest point is 17,000 Yojans. It is due to the influence of gentle, humble, serene, mild-passioned, simple, delicate,
sense-conquered and polite souls like Arihant, Chakravarti, Baladev, Si Chaaran, Vidyadhar, Shraman, Shramani, Shravak, Shravika and other
religious people living in Bharat and Airavat areas that such large and wide Lavan Samudra does not inundate Jambu continent... and so on up to... engulf it; also this is the nature of Lok. (Jivabhigam Sutra 3/2/173; Lavansamudradhikar, pp. 324-325)
• END OF THE SECOND LESSON OF THE FIFTH CHAPTER
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भगवती सूत्र (२)
(34)
Bhagavati Sutra (2)
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