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Bhagavan has specially known about this that indeed this is Mahashilakantak battle. (Therefore) Bhante ! When Mahashilakantak battle was going on who won and who lost?
[Ans.) Gautam ! Vajji Videhaputra (King Kunik of Vajji or Indra, the wielder of thunder, and King Kunik) won. Nine Malla chiefs and nine Lichchhavi chiefs, who were the eighteen kings of republics of Kashi and Kaushal countries, lost.
६. तए णं से कूणिए राया महासिलाकंटगं संगामं उद्वितं जाणित्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! उदाई हत्थिरायं परिकप्पेह, हय-गय-रह-जोहकलियं चातुरंगिणिं सेणं सबाहेह, सनाहेत्ता जाव मम एतमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह।
६. उस समय महाशिलाकण्टक-संग्राम उपस्थित हुआ जानकर कूणिक राजा ने अपने कौटुम्बिक पुरुषों (आज्ञापालक सेवकों) को बुलाया। बुलाकर उनसे इस प्रकार कहा-हे देवानुप्रियो ! शीघ्र ही 'उदायी' नामक हस्तिराज (पट्टहस्ती) को तैयार करो और अश्व, हाथी, रथ और योद्धाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना सन्नद्ध (शस्त्रास्त्रादि से सुसज्जित) करो और ये सब करके मेरी आज्ञानुसार कार्य करके शीघ्र ही मेरी आज्ञा मुझे वापस सौंपो।
6. At that time, knowing that Mahashilakantak battle was about to begin, King Kunik summoned his attendants (kautumbik purush) and instructed them-"Beloved of gods ! At once prepare Udai, the best elephant, and get the four pronged army comprising of cavalry, elephant brigade, chariot brigade and infantry, ready to march. Accomplishing my instructions, report back to me at once.” ____७. तए णं ते कोडुंबियपुरिसा कूणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हद्वतुट्ठा जाव अंजलि कटु ‘एवं सामी ! तह' ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएसमतिकप्पणाविकप्पेहिं सुनिउणेहिं एवं जहा उववातिए जाव भीमं संगामियं अउज्झं उदाई हत्थिरायं परिकप्पेंति हय-गय-जाव सन्नाहेंति, सनाहित्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवा०, तेणेव २ करयल० कूणियस्स रण्णो तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति।
७. तत्पश्चात् कूणिक राजा द्वारा इस प्रकार कहे जाने पर वे कौटुम्बिक पुरुष हृष्ट-तुष्ट हुए, यावत् मस्तक पर अंजलि करके हे स्वामिन् ! 'ऐसा ही होगा, जैसी आज्ञा'; यों कहकर उन्होंने विनयपूर्वक वचन स्वीकार किया। वचन स्वीकार करके निपुण आचार्यों के उपदेश से प्रशिक्षित एवं तीक्ष्ण बुद्धिकल्पना के सुनिपुण विकल्पों से युक्त तथा औपपातिकसूत्र में कहे गये विशेषणों से युक्त यावत् भीम (भयंकर) संग्राम के योग्य उदार (श्रेष्ठ अथवा योद्धा के बिना अकेले ही टक्कर लेने वाले) उदायी नामक हस्तीराज (पट्टहस्ती) को सुसज्जित किया। साथ ही घोड़े, हाथी, रथ और योद्धाओं से युक्त चतुरंगिणी सेना भी (शस्त्रास्त्रादि) से सुसज्जित की। सुसज्जित करके जहाँ कूणिक राजा था, वहाँ उसके पास आये और करबद्ध होकर उन्होंने कूणिक राजा को आज्ञानुसार कार्य सम्पन्न हो जाने की सूचना दी।
भगवती सूत्र (२)
(434)
Bhagavati Sutra (2)
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