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[Ans.] Gautam ! During that period the land surface in Bharat-varsh 5 will be ablaze like embers (angaar bhoot), like burning cow-dung cake 5 (murmur-bhoot), like scalding ashes (bhasmibhoot), like a red hot cauldron, like a burning fire, full of dust, full of dirt, full of mud, full of moss, and slippery to walk. It would be extremely difficult to walk for the living beings inhabiting the earth.
३३. [ प्र. ] तीसे णं भंते! समाए भारहे वासे मणुयाणं केरिसए आयारभाव - पडोयारे भविस्सइ ?
[उ. ] गोयमा ! मणुया भविस्संति दुरूवा दुव्वण्णा दुगंधा दूरसा दूफासा, अणिट्ठा अकंता जाव अमणामा, हीणस्सरा दीणस्सरा अणिट्ठस्सरा जाव अमणामस्सरा, अणादिज्जवयण - पच्चायाया निल्लज्जा कूड - कवड -- कलह - वह - बंध - वेर - निरया मज्जायातिक्कमप्पहाणा अकज्जनिच्चुज्जता गुरुनियोगविणयरहिया य विकलरूवा परूढनह - केस - मंसुरोमा काला खरफरुसझामवण्णा फुट्टसिरा कविलपलियकेसा बहुहारुसंपिणदुदंसणिज्जरुवा संकुडियवलीत रंगपरिवेडियंगमंगा जरापरिणतव्य थेर गनरा पविरलपरिसडियदंतसेढी उब्भडघडमुहा विसमनयणा वंकनासा वंकवलीविगत भेसणमुहा कच्छूकसराभिभूता खर - तिक्खनक्ख - कंडूइय - विक्खयतणू दुद्द - किडिभ - सिज्झफुडियफरूसच्छवी चित्तलंगा टोल - गइ - विसम - संधिबंधणउक्कुड्डु - अट्ठिगविभत्तदुब्बला - कुसंघयणकुप्पमाणकुसंठिता कुरुवा कुट्ठाणासण - कुसेज्ज - कुभोइणो असुइणो अणेगवाहिपरिपीलियंगमंगा खलंतिविन्भलगती निरुच्छाहा सत्तपरिवज्जिया विगयचेट्ठनट्ठतेया अभिक्खणं सीय - उण्ह - खर- फरुस - वायविज्झडियमलिणपंसु
गुडतंगमंगा ।
बहुकोह - माण - माया बहुलोभा असुहदुक्खभागी ओसन्नं धम्मसण्णा - सम्मत्तपरिब्भट्ठा उक्कोसेणं रणिपमाणमेत्ता सोलसवीसतिवास्परमाउसा पुत्त - णत्तुपरियालपणयबहुला गंगा-सिंधूओ महानदीओ वेदं च पव्वयं निस्साए बहुत्तरं णिगोदा बीयंबीयामेत्ता बिलवासिणो भविस्संति ।
भगवती सूत्र (२)
३३ . [ प्र. ] भगवन् ! उस समय (दुःषम दुःषम नामक छठे आरे) में भारतवर्ष के मनुष्यों का 5 आकार या आचार और भावों का स्वरूप कैसा होगा ?
[ उ. ] गौतम ! उस समय में भारतवर्ष के मनुष्य अति कुरूप, कुवर्ण, कुगन्ध, कुरस और कुस्पर्श से युक्त, अनिष्ट, अकान्त ( कान्तिहीन या अप्रिय) यावत् अमनोगम, हीन स्वर वाले, दीन स्वर वाले, अनिष्ट स्वर वाले यावत् अमनाम स्वर वाले, अनादेय और अप्रतीतियुक्त वचन वाले, निर्लज्ज, कूट-फ कपट, कलह, वध ( मारपीट ), बन्ध और वैर-विरोध में रत, मर्यादा का उल्लंघन करने में प्रधान 5 (प्रमुख), अकार्य करने में नित्य उद्यत, गुरुजनों (माता - पिता आदि पूज्यजनों) के आदेशपालन और विनय से रहित, विकलरूप (बेडौल सूरत शक्ल ) वाले बढ़े हुए नख, केश, दाढ़ी, मूँछ और रोम वाले, 5 कालेकलूटे, अत्यन्त कठोर श्यामवर्ण के बिखरे हुए बालों वाले, पीले और सफेद केशों वाले, बहुत-सी नसों (स्नायुओं) से शरीर बँधा हुआ होने से दुर्दर्शनीय रूप वाले, संकुचित (सिकुड़े हुए) और वलीतरंगों (झुर्रियों) से परिवेष्टित, टेढ़े-मेढ़े अंगोपांग वाले, इसलिए जरापरिणत वृद्ध पुरुषों के समान थोड़े
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Bhagavati Sutra (2)
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