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३१. [ प्र. ] भगवन् ! इस जम्बूद्वीप नामक द्वीप के भारतवर्ष में इस अवसर्पिणी काल का दुःषमदुःषम नामक छठा आरा जब अत्यन्त उत्कट अवस्था को प्राप्त होगा, तब भारतवर्ष का आकारभावप्रत्यवतार (आकार = बाह्य स्वरूप । भाव-पर्याय का आविर्भाव) कैसा होगा ?
[उ.] गौतम ! वह काल हाहाभूत (मनुष्यों के हाहाकार से युक्त), भंभाभूत (दुःखार्त्त पशुओं के भांभां शब्दरूप आर्त्तनाद से युक्त) और कोलाहल भूत होगा । काल के प्रभाव से अत्यन्त कठोर, धूल से मलिन ( धूमिल ), असह्य, व्याकुल (जीवों को व्याकुल कर देने वाली), भयंकर वात (हवाएँ) एवं संवर्त्तक वायु चलेंगी। इस काल में यहाँ बार-बार चारों ओर से धूल उड़ने से दिशाएँ धूल से मलिन और रेत से कलुषित, अन्धकारपटल से युक्त एवं आलोक से रहित होंगी। समय (काल) की रूक्षता के कारण चन्द्रमा अत्यन्त शीतलता फेंकेंगे; सूर्य अत्यन्त तपेंगे। इसके अनन्तर बारम्बार बहुत से खराब रस वाले विपरीत रस वाले मेघ, खारे जल वाले मेघ, खत्तमेघ ( खाद के समान पानी वाले मेघ ), विद्युत्मेघ
मेघ,
( बिजली सहित मेघ ), विषमेघ (जहरीले पानी वाले मेघ ), अशनिमेघ ( ओले- गड़े बरसाने वाले या वज्र 5
के समान पर्वतादि को चूर-चूर कर देने वाले मेघ ), अपेय ( न पीने योग्य) जल से पूर्ण मेघ (अथवा तृषा शान्त न कर सकने वाले पानी से युक्त मेघ ), व्याधि, रोग और वेदना को उत्पन्न करने (उभाड़ने ) वाले जल से युक्त तथा अमनोज्ञ जल वाले मेघ, प्रचण्ड वायु के थपेड़ों से आहत होकर तीक्ष्ण धाराओं 5 के साथ गिरते हुए प्रचुर वर्षा बरसायेंगे ।
जिससे भारतवर्ष के ग्राम, आकर (खान), नगर, खेड़े, कर्बट, मडम्ब, द्रोणमुख (बन्दरगाह), पट्टण
( व्यापारिक मंडियों) और आश्रम में रहने वाले जनसमूह, चतुष्पद (चौपाये जानवर), खग (आकाश
चारी पक्षीगण ), ग्रामों और जंगलों में संचार में रस त्रस प्राणी तथा अनेक प्रकार के वृक्ष, गुच्छ, गुल्म, लताएँ, बेलें, घास, दूब, पर्व्वक (गन्ने आदि), हरियाली, शालि आदि धान्य, प्रवाल और अंकुर आदि 5 तृणवनस्पतियाँ, ये सब विनष्ट हो जायेंगी । वैताढ्य पर्वत को छोड़कर शेष सभी पर्वत, छोटे पहाड़, फटीले, डूंगर, स्थल, रेगिस्तान बंजर भूमि आदि सबका विनाश हो जायेगा। गंगा और सिन्धु, इन दो नदियों को छोड़कर शेष नदियाँ, पानी के झरने, सरोवर, झील आदि ( नष्ट हो जायेंगे), दुर्गम और (ऊँची-नीची ) भूमि में रहे हुए सब स्थल समतल क्षेत्र (सपाट मैदान) हो जायेंगे ।
विषम
31. [Q.] Bhante ! In this Avasarpini kaal (regressive half-cycle of time) 5 when the Dukham-dukhama Ara (epoch of extreme sorrow) will be at its 卐 worst, what will be the forms (things and conduct) and appearances (modes or variety of conduct and things) that will evolve in Bharat area (Bharat-varsh or Indian sub-continent) in Jambudveep ?
[Ans.] Gautam ! That period will be replete with wails (hahabhoot), bawls (bhambhabhoot) and pandemonium (kolahal). Due to the impact of times extremely harsh, dusty, intolerable, tormenting and fierce winds and whirlwinds (samvartak vaat) will blow. During that period all directions will be dusky, murky, dismal and dark due to continued duststorms all around. Adverse times will make moon impart extreme cold भगवती सूत्र ( २ )
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Bhagavati Sutra (2)
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