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चित्र परिचय - ११
असातावेदनीय और बंध के कारण
चित्र के मध्य में असाता वेदनीय कर्म भोग के दो दृश्य हैं। इस कर्म के उदय व्याधियाँ, दुर्बलता, आकस्मिक आघात आदि के रूप में शारीरिक व मानसिक कष्ट भोगने पड़ते हैं।
असातावेदनीय कर्म बन्ध के मुख्य रूप में छह कारण हैं
(१) जीवों को दुःख देना- जैसे पक्षियों को पिंजरों में बाँधना, गाय आदि मूक पशुओं पर चोट व प्रहार कर उन्हें दुःख पहुँचना अथवा किसी भी प्राणी को दुःख देना ।
Illustration No. 11
(२) दूसरों को शोक उत्पन्न करना- उदाहरण स्वरूप-किसी ने निर्दयता पूर्वक किसी अनाथ महिला को घर से बेघर कर दिया । उसका सामान तोड़-फोड़ कर सड़क पर फेंक दिया।
(३) विषाद व चिन्ता उत्पन्न करना - जैसे रहते घरों में आग लगा देना, शस्त्र आदि से भयाक्रान्त करना ।
(४) दूसरों को रुलाना, भयभीत करना ।
(५) दूसरों को पीटना - जैसे धोबी गधे को व गाड़ी वाला बूढ़े बैलों को पीटता है।
(६) दूसरों को परिताप देना- जैसे अज्ञान लोग साधु को दुर्वचन आदि बोलकर संताप पहुँचा रहे हैं। ये उदाहरण किसी भी जीव पर लागू हो सकते हैं।
शरीर में अनेक प्रकार की
- शतक ७, उ. ६, सूत्र २८
CAUSES OF ACQUIRING PAIN CAUSING KARMAS
The illustration in the middle has two scenes of pain caused by asaata vedaniya karma. The fruition of this karma causes physical and mental suffering in the form of ailments, weakness, accident etc.
There are six main causes of bondage of these karmas
(1) Tormenting living beings-to trap and encage birds, to hurt cows and other mute animals by hitting and beating, or to hurt any being in any way.
(2) Causing grief to others to dispossess a helpless woman of her abode and throw away her belongings.
(3) Causing panic and worry-to set fire to inhabited houses or spread panic by display of weapons etc.
(4) To make others weep and wail by terrorizing them.
(5) To beat others like a washer-man beats his donkey and a bullock-cart driver beats the bullocks.
(6) To torment others-like heretics torment ascetics with abuses and harsh words. All these examples are applicable to any living being.
-Shatak-7, lesson-6, Sutra 28
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