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and eighth on dense water and dense air; ninth to twelfth, the nine ॐ Graiveyaks and five Anuttar Vimaans, all rest on space. (Vritti, leaf 279) what a nirgen 77 THE LIFE-SPAN BONDAGE OF LIVING BEINGS
२७.[प्र.] कतिविहे णं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते ?
[उ.] गोयमा ! छबिहे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा-जातिनामनिहत्ताउए गतिनामनिहत्ताउए + ठितिनामनिहत्ताउए ओगाहणानामनिहत्ताउए पदेसनामनिहत्ताउए अणुभागनामनिहत्ताउए।
२७. [प्र. ] भगवन् ! आयुष्यबन्ध कितने प्रकार का है ? म [उ.] गौतम ! आयुष्यबन्ध छह प्रकार का है। वह इस प्रकार है-(१) जातिनामनिधत्तायु,
(२) गतिनामनिधत्तायु, (३) स्थितिनामनिधत्तायु, (४) अवगाहनामनिधत्तायु, (५) प्रदेशनामनिधत्तायु, 卐 और (६) अनुभागनामनिधत्तायु।
27. (Q.) Bhante ! Of how many kinds is life-span bondage (ayushya卐 bandh)?
[Ans.) Gautam ! Life-span bondage (az'ushya-bandh) is of six kinds(1) Jati-naam-nidhatt-ayu (race programmed life-span), (2) Gati-naamnidhatt-ayu (genus programmed life-span), (3) Sthiti-naam-nidhatt-ayu (duration programmed life-span), (4) Avagahana-naam-nidhatt-ayu (space-occupation or form programmed life-span), (5) Pradesh-naamnidhatt-ayu (space-point programmed life-span), and (6) Anubhag-naamnidhatt-ayu (potency programmed life-span).
२८. एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं। २८. यावत् वैमानिकों तक दण्डक कहना चाहिए।
28. Repeat these for all Dandaks (places of suffering) up to Vaimaniks.
२९. [प्र. ] जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता, गतिनामनिहत्ता जाव अणुभागनामनिहत्ता ? । [उ. ] गोयमा ! जातिनामनिहत्ता वि जाव अणुभागनामनिहत्ता वि। ३०. दंडओ जाव वेमाणियाणं।
२९. [प्र.] भगवन् ! क्या जीव जातिनामनिधत्त हैं? गतिनामनिधत्त हैं? यावत् अनुभागनामनिधत्त हैं ?
[उ. ] गौतम ! जीव जातिनामनिधत्त भी हैं, यावत् अनुभागनामनिधत्त भी हैं। ३०. यह दण्डक यावत् वैमानिक तक कहना चाहिए।
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भगवती सूत्र (२)
(298)
Bhagavati Sutra (2) $$ $$$步步步步步步步步步步步步功$$$$$$$$$$g
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