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| चित्र परिचय-५
Illustration No.5
वेदना और निर्जरा
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(१) महावेदना-अल्पनिर्जरा-कुछ जीव पराधीनता के कारण अपने कृतकर्मों के अनुसार नरक आदि गतियों में महाभंयकर वेदना भोगते हैं। परन्तु आत्म-विशुद्धि कारक कर्म निर्जरा की दृष्टि से उन नारकों को अल्प निर्जरा ही होती है।
उदाहरण-जैसे कीचड़ में गहरा रंगा अत्यधिक मलिन वस्त्र बहुत परिश्रम करके धोने पर भी बहुत कम साफ होता । है। अथवा एरण आदि पर हथोड़े की चोट मारने पर भी उसके लोह परमाणु अत्यधिक सघन होने से बहुत अल्प मात्रा में बिखरते हैं। इसी प्रकार उन नारक जीवों के सघन, संश्लिष्ट कर्म बन्ध होने के कारण वेदना भोगते हुए विलाप, क्रन्दन करने के कारण आत्मा की विशुद्धि बहुत ही कम होती है। उनको मात्र अकाम निर्जरा ही होती है।
-(शतक ६, उ. १, सूत्र २-३) (२) इसके विपरीत जो समभावी श्रमण निर्ग्रन्थ होते हैं, उनको कदाचित् घोर उपसर्ग-परीषह उत्पन्न होने पर वे अत्यधिक समभाव के साथ उन्हें सहन करते हैं। इस कारण उनकी आत्मा में संलग्न कर्म रूपी मलिनता दूर होने पर महावेदना के साथ उन्हें महान कर्म निर्जरा भी होती है।
(i) उदाहरण-जैसे आग में सूखा घास डालने पर वह तुरन्त भस्म हो जाता है। (ii) जलते तवे पर पानी की बूंदे गिरते ही वे जल जाती हैं, तथा (iii) हल्दी आदि हल्के रंगों से मलिन वस्त्र धोने पर शीघ्र स्वच्छ हो जाता है। इसी प्रकार उनकी आत्म-विशुद्धि शीघ्र ही होती है।
-(शतक ६, उ. १, सूत्र ३-४
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PAIN AND SHEDDING (1) Extensive pain and little shedding-Depending on the acquired karmas, some beings suffer extensive pain during their birth in hell and other lowly genuses. But in terms of the shedding leading to spiritual purity those infernal beings have little shedding of karmas.
Example-In spite of working hard, effort to wash a dirty cloth made black by slime fails to make it completely clean. In spit of hammering hard the densely packed molecules of an iron anvil hardly disintegrate. In the same way the densely fused karmic bondage of infernal beings undergoes very little shedding and they gain very little spiritual purity when they suffer the agonizing pain wailing and weeping. They only have involuntary shedding of karmas.
-Shatak-6, lesson-1, Sutra-2, 3 (2) As against this, when the equanimous ascetics are faced with great affliction they endure it with great equanimity. As a consequence the acquired karmic dirt attached to their soul is removed and this great suffering is followed by extensive shedding.
Example-(i) Dry hay is at once turned to ashes when put in fire. (ii) A drop of water falling on a hot platen at once evaporates. (iii) A cloth with light stains gets completely clean on washing. In the same way equanimous ascetics attain purity very soon.
-Shatak-6, lesson-1, Sutra-3,4
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