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[Q.2] Bhante ! Is an aggregate of three pradeshas (ultimate particle $ of matter) with halves (sa-ardh), with a middle (sa-madhya) and with
sections (sa-pradesh) or without halves (an-ardh), without a middle
(a-madhya) and without sections (a-pradesh) ? $i (Ans.] Gautam ! It is without halves (an-ardh), with a middle
(sa-madhya) and with sections (sa-pradesh) but never with halves (sa-ardh), without a middle (a-madhya) and without sections (a-pradesh).
What has been stated about aggregates of two should be repeated for aggregates of even numbers. And what has been stated about aggregates of three should be repeated for aggregates of odd numbers. _ [प्र. ३ ] संखेज्जपदेसिए णं भंते ! खंधे किं सअड्ढे पुच्छा ?
[उ. ] गोयमा ! सिय सअद्धे अमझे, सपदेसे, सिय अणड्ढे समझे सपदेसे।
जहा संखेज्जपदेसिओ तहा असंखेज्जपदेसिओ वि अणंतपदेसिओ वि। __ [प्र. ३ ] भगवन् ! क्या संख्यातप्रदेशी स्कन्ध सार्ध, समध्य और सप्रदेश है, अथवा अनर्ध, अमध्य ॐ और अप्रदेश है ? म [उ. ] गौतम ! वह कदाचित् स-अर्ध होता है, अमध्य होता है, और स-प्रदेश है, और कदाचित ॐ अनर्ध होता है, स-मध्य होता है और सप्रदेश होता है।
जिस प्रकार संख्यातप्रदेशी स्कन्ध के विषय में कहा गया है, उसी प्रकार असंख्यातप्रदेशी स्कन्ध और अनन्तप्रदेशी स्कन्ध के विषय में भी जानना चाहिए।
[Q. 3] Bhante ! Is an aggregate of countable pradeshas (ultimate particle of matter) with halves (sa-ardh), with a middle (sa-madhya) and ॐ with sections (sa-pradesh) or without halves (an-ardh), without a middle 卐 (a-madhya) and without sections (a-pradesh)?
[Ans.) Gautam ! It is sometimes with halves (sa-ardh), without a 5 middle (a-madhya) and with sections (sa-pradesh); and sometimes
without halves (an-ardh), with a middle (sa-madhya) and with sections (sa-pradesh).
What has been stated about aggregates of countable should be repeated for aggregates of innumerable as well as aggregates of infinite.
विवेचन : निष्कर्ष-परमाणुपुद्गल विशुद्ध रूप में अनर्ध (अविभाजित) अमध्य और अप्रदेश होते हैं। परन्तु - जो द्विप्रदेशी जैसे सम संख्या (दो. चार. छह. आठ आदि संख्या) वाले स्कन्ध होते हैं. वे स-अर्ध. अमध ॐ स-प्रदेश होते हैं, जबकि जो त्रिप्रदेशी जैसे विषम (तीन, पाँच, सात, नौ आदि एकी) संख्या वाले स्कन्ध होते ॥
हैं। वे अनर्ध, स-मध्य और स-प्रदेश होते हैं, इसी प्रकार संख्यातप्रदेशी, असंख्यातप्रदेशी और अनन्तप्रदेशी
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| भगवती सूत्र (२)
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