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2. [Q.] Bhante ! How many gods reign over Naag Kumar gods ?
[Ans.] Gautam ! Over Naag Kumar gods ten gods reign... and so on up to... enjoy divine pleasures. They are-(1) Naag-kumarendra Dharan, the overlord of Naag Kumar gods, (2) Kaal-pal, (3) Kol-pal, (4) Shail-pal, and (5) Shankh-pal as also, (6) Naag-kumarendra Dharan, the overlord of Naag Kumar gods, (7) Kaal-pal, (8) Kol-pal, (9) Shankh-pal, and (10) Shail-pal.
३. जहा नागकुमारिदाणं एताए वत्तव्वयाए णीयं एवं इमाणं नेयव्वं - ( ३ ) सुवण्णकुमाराणं वेणुदेवे, वेणुदाली, चित्ते, विचित्ते, चित्तपक्खे, विचित्तपक्खे। (४) विज्जुकुमाराणं हरिक्कंत, हरिस्सह, पभ, सुप्पभ, पथकंत, सुप्पभकं । (५) अग्गिकुमाराणं अग्गिसीहे, अग्गिमाणव, तेउ, तेउसीहे, तेउकंते, तेउप्पभे। (६) दीवकुमाराणं पुण्ण, विसिट्ठ, रूय, सुरूय, रूयकंत, रूयप्पभ । (७) उदहिकुमाराणं जलकंते, जलप्पभ, जल, जलरूय, जलकंत, जलप्पभ । (८) दिसाकुमाराणं अमियगति, अमियवाहणे, तुरियगति, खिष्पगति, सीहगति, सीहविक्कमगति । ( ९ ) वाउकुमाराणं वेलंब, पभंजण, काल, महाकाल अंजण, रिट्ठा। (१०) थणियकुमाराणं घोस, महाघोस, आवत्त, वियावत्त, नंदियावत्ता, महानंदियावत्ता एवं भाणियव्यं जहा असुरकुमारा ।
सोम १, कालपाल २, चित्र ३, प्रभ ४, तेजस् ५, रूप ६, जल ७, त्वरितगति ८, काल ९,
आवत्त १० ।
३. जिस प्रकार नागकुमारों के इन्द्रों के विषय यह (पूर्वोक्त) वक्तव्यता (कथन) कही है, उसी प्रकार इन (देवों) के विषय में भी समझ लेना चाहिए। (३) सुवर्णकुमार देवों पर वेणुदेव, वेणुदालि, चित्र, विचित्र, चित्रपक्ष और विचित्रपक्ष ( का आधिपत्य रहता है); (४) विद्युतकुमार देवों परहरिकान्त, हरिसिंह, प्रभ, सुप्रभ, प्रभाकान्त और सुप्रभाकान्त ( का आधिपत्य रहता है); (५) अग्निकुमार देवों पर - अग्निसिंह (शिख), अग्निमाणव (स्सह), तेजस्, तेजः सिंह, तेजस्कान्त और तेजःप्रभ (आधिपत्य करते हैं); (६) द्वीपकुमार देवों पर पूर्ण, विशिष्ट (वाशिष्ट) रूप, रूपांश, रूपकान्त और रूपप्रभ; (७) उदधिकुमार देवों पर जलकान्त, जलप्रभ, जल, जलरूप, जलकान्त और जलप्रभ का (आधिपत्य है); (८) दिक्कुमार देवों पर- अमितगति, अमितवाहन, तूर्यगति, क्षिप्रगति, सिंहगति और सिंहविक्रमगति (आधिपत्य करते हैं); (९) वायुकुमार देवों पर-वेलम्ब, प्रभंजन, काल, महाकाल, अंजन और रिष्ट का आधिपत्य रहता है; (१०) स्तनितकुमार देवों पर - घोष, महाघोष, आवर्त, व्यावर्त, नन्दिकावर्त और महानन्दिकावर्त (का आधिपत्य रहता है ।) इन सबका कथन असुरकुमारों की तरह कहना चाहिए।
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दक्षिण भवनपति देवों के अधिपति इन्द्रों के प्रथम लोकपालों के नाम इस प्रकार हैं- (१) सोम, (२) कालपाल, (३) चित्र, (४) प्रभ, (५) तेजस्, (६) रूप, (७) जल, (८) त्वरितगति, (९) काल, और (१०) आवर्त ।
भगवतीसूत्र (१)
(512)
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Bhagavati Sutra (1)
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