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________________ 55555555555555555555555555555 ) ) )) ) )) ) 卐 [4] The following gods are recognized as the sons of Yama Maharaj, 4i the Lok-pal of Devendra Shakra (1) Amb, (2) Ambarish, (3) Shyam, (4) Shabal, (5) Rudra, 卐 (6) Uparudra, (7) Kaal, (8) Mahakaal, (9) Asipatra, (10) Dhanush, $1 (11) Kumbh, (12) Balu, (13) Vaitarani, (14) Kharasvar, and (15) Mahaghosh. These are fifteen famous gods. [५] सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सत्तिभागं पलिओवमं ठिती पण्णत्ता। अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिओवमं ठिती पण्णत्ता। एमहिड्डिए जाव जमे महाराया। [५] देवेन्द्र देवराज शक्र के लोकपाल यम महाराज की स्थिति तीन भाग सहित एक पल्योपम की में है और उसके अपत्यरूप से माने हुए देवों की स्थिति एक पल्योपम की है। यम महाराज की ऐसी म महाऋद्धि है। [5] The life-span of Yama Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, is one and one-third of a Palyopam (a metaphoric unit of time). The life4 span of the said gods, recognized as his sons, is one Palyopam. Thus Yama Maharaj, the Lok-pal of Devendra Shakra, is endowed with great opulence... and so on up to... influence. 9. विवेचन : पन्द्रह देवों के नाम--पूर्वजन्म में क्रूर क्रिया करने वाले, क्रूर परिणामों वाले, सतत पापरत कुछ + जीव अज्ञानतप से किये गये निरर्थक देहदमन के फलस्वरूप असुर निकाय में उत्पन्न होते हैं, जो परमाधार्मिक असुर कहलाते हैं। ये तीसरी नरकभूमि तक जाकर नारकी जीवों को कष्ट देकर प्रसन्न होते हैं, यातना पाते हुए म नारकों को देखकर ये आनन्द मानते हैं। इनके गुण निष्पन्न नाम इस प्रकार हैं-(१) अम्ब = जो नारकों को के ऊपर आकाश में ले जाकर गिराते हैं, (२) अम्बरीष = जो छुरी आदि से नारकों के छोटे-छोटे, भाड़ में पकने योग्य टुकड़े करते हैं, (३) श्याम = ये काले रंग के व भयंकर स्थानों में नारकों को पटकते एवं पीटते हैं, 9 (४) शबल = जो चितकबरे रंग के व नारकों की आँतें-नसें एवं कलेजे को बाहर खींच लेते हैं, (५) रुद्र = म नारकों को भाला, बर्थी आदि शस्त्रों में पिरो देने वाले रौद्र-भयंकर असुर, (६) उपरुद्र = नारकों के अंगोपांगों को फाड़ने वाले अतिभयंकर असुर, (७) काल = नारकों को कड़ाही में पकाने वाले, काले रंग के असुर, 9 (८) महाकाल = नारकों के माँस के टुकड़े-टुकड़े करके उन्हें खिलाने वाले, अत्यन्त काले रंग के असुर, 卐 (९) असिपत्र = जो तलवार के आकार के पत्ते वैक्रिय से बनाकर नारकों पर गिराते हैं, (१०) धनुष = जो धनुष द्वारा अर्ध-चन्द्रादि बाण फेंककर नारकों के नाक, कान आदि बींध डालते हैं, (११) कुम्भ = जो नारकों को कुम्भ या कुम्भी में पकाते हैं, (१२) बालू = वैक्रिय द्वारा निर्मित वज्राकार या कदम्ब पुष्पाकार रेत में नारकों 卐 को डालकर चने की तरह भूनते हैं, (१३) वैतरणी = जो रक्त, माँस, मवाद, ताँबा, शीशा आदि गर्म पदार्थों से + उबलती हुई नदी में नारकों को फैंककर तैरने के लिए बाध्य करते हैं, (१४) खरस्वर = जो वज्रकण्टकों के भरे शाल्मलि वृक्ष पर नारकों को चढ़ाकर, करुणक्रन्दन करते हुए नारकों को कठोर स्वरपूर्वक खींचते हैं, 卐 (१५) महाघोष = डर से भागते हुए नारकों को पकड़कर बाड़े में बन्द कर देते हैं, जोर से चिल्लाते हैं। + (वृत्ति, पत्रांक १९८, भगवतीसूत्र : पं. घेवरचन्द जी, भाग २, पृष्ठ ७१९-७२०) )) ) ))) )) )) )) ) )) | तृतीय शतक: सप्तम उद्देशक (503) Third Shatak : Seventh Lesson 卐 555555555555555555555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002902
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhyaprajnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2005
Total Pages662
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_bhagwati
File Size20 MB
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