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ॐ [उ. ] मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपारियावणिया य परहत्थपारियावणिया य।
६. [प्र. ] भगवन् ! पारितापनिकी क्रिया कितने प्रकार की है ? __ [उ. ] मंडितपुत्र ! पारितापनिकी क्रिया दो प्रकार की है-(१) स्वहस्तपारितापनिकी, और (२) परहस्तपारितापनिकी। ___6. [Q.] Bhante ! Of how many types is punitive action of inflicting
punishment and pain on others (paaritapaniki kriya)? ___[Ans.] Mandit-putra ! Paaritapaniki kriya (punitive action) is of two kinds-(1) Svahast-paaritapaniki-kriya (inflicting pain on self and others with one's own hands), and (2) Parahast-paaritapaniki-kriya (causing other person to inflict pain on self and others).
७. [प्र. ] पाणाइवायकिरिया णं भंते ! कइविहा पण्णत्ता ? ___ [उ. ] मंडियपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपाणाइवायकिरिया य परहत्थपाणाइवायकिरिया य।
७. [प्र. ] भगवन् ! प्राणातिपातक्रिया कितने प्रकार की है ?
[उ. ] मण्डितपुत्र ! प्राणातिपात क्रिया दो प्रकार की है-(१) स्वहस्त प्राणातिपातक्रिया, और (२) परहस्त प्राणातिपातक्रिया। 4 7. (Q.) Bhante ! Of how many types is act of harming or destroying life 4i (praanatipatiki kriya)?
(Ans.] Mandit-putra ! Praanatipat kriya is of two kinds-(1) Svahastpraanatipat kriya (destroying life of self and others with one's own 451 hands), and (2) Parahast-praanatipat kriya (causing other person to 4 4i destroy life of self and others).
विवेचन : क्रिया-जैनदृष्टि से क्रिया का अर्थ केवल करना ही नहीं है, अपितु उसका एक अर्थ है-कर्मबन्ध में 卐 कारणरूप चेष्टा या प्रवृत्ति; फिर वह चाहे कायिक हो, वाचिक हो या मानसिक हो, जब तक जीव क्रियारहित नहीं हो जाता, तब तक कुछ न कुछ कर्मबन्धन होता ही रहता है।
पाँच क्रियाओं का अर्थ इस प्रकार है-कायिकी-काया में या काया से होने वाली। आधिकरणिकी-जिससे 卐 आत्मा का नरकादि दुर्गतियों में जाने का अधिकार बनता है, ऐसा कोई अनुष्ठान या कार्य अथवा तलवार,
चक्रादि शस्त्र वगैरह हिंसा के आधार अधिकरण कहलाते हैं, अधिकरण से होने वाली क्रिया। प्राद्वेषिकी-प्रद्वेष
(मत्सर) के निमित्त से हुई अथवा प्रद्वेषरूप क्रिया। पारितापनिकी-अन्य जीवों को परिताप या पीड़ा पहुँचाने से फ़ होने वाली क्रिया। प्राणातिपातिकी-प्राणियों के प्राणों का अतिपात (वियोग या विनाश) से होने वाली क्रिया।
____ अनुपरतकायक्रिया-प्राणातिपात आदि से सर्वथा त्यागवृत्तिरहित प्राणी की शारीरिक क्रिया। यह क्रिया म अविरत जीवों को लगती है। दुष्प्रयुक्तकायक्रिया-दुष्टरूप (बुरी तरह) से प्रयुक्त शरीर द्वारा अथवा दुष्ट प्रयोग | तृतीय शतक : तृतीय उद्देशक
(443)
Third Shatak: Third Lesson
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