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| चित्र परिचय-७
Illustration No.7
चमरेन्द्र की विकुर्वणा शक्ति (१) जम्बूद्वीप को अपने रूपों से भरना-असुरराज चमर तथा उसके अन्य देवों की विकुर्वणा शक्ति इतनी प्रखर है कि वह यदि चाहे तो अपने जैसे अगणित प्रतिरूपों से तथा विविध प्रकार के देव देवि प्रतिरूपों से इस जम्बूद्वीप को ठसाठस भर सकता है। इतना ही नहीं, इसी प्रकार के असंख्य द्वीप समुद्रों वाले सम्पूर्ण तिर्यक् लोक को ठसाठस भर सकता है। ये वैक्रिय कृत रूप उसके असली रूप से भिन्न होते हुए भी उसके साथ संलग्न दिखाई देते हैं। जैसे कि (१) किसी मेले में कोई युवक कामोद्रक अवस्था में किसी युवती का हाथ पूरी दृढ़ता व प्रगाढ़ता से पकड़कर चलता है तो दूर से वे दोनों भिन्न होते हुए भी एकाकार दिखाई देते हैं, (२) जैसे गाड़ी के पहिये की धुरी (नाभि) आरों-पहियों (चक्कों) से भिन्न होते हुए भी सुसम्बद्ध दिखाई पड़ती है।
-शतक ३, उ. १, सूत्र ३-५
CHAMARENDRA'S CAPACITY OF
TRANSMUTATION (1) Filling Jambu continent-Chamarendra, the king of Asurs, and his subordinate gods are endowed with such great capacity of transmutation that they can tightly pack the whole of Jambudveep continent with numerous forms in their likeness and that of a variety of gods and goddesses. Moreover, he can also tightly pack an area covering innumerable islands and seas in this transverse world. These transmuted forms. although separate, appear to be attached to him. It is exactly like-(1) a young man and a young woman in love tightly holding each other's hands in a fare appear to be united and (2) the spokes of a wheel are tightly held by its axle appear to be welded together.
-Shatak 3, lesson 1, Sutra 3-5
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