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"पुढवी ओगाहित्ता णिरया, संटाणमेव बाहल्लं।
विक्खंभ-परिक्खेवो, वण्णो गंधो य फासो य॥' (संग्रहणी गाथा) ॐ (१) रत्नप्रभा आदि, पृथ्वियाँ सात हैं। (२) कितनी दूर जाने पर नरकावास हैं ? रत्नप्रभा पृथ्वी की मोटाई 卐 एक लाख अस्सी हजार योजन है, उसमें से एक-एक हजार योजन ऊपर और नीचे छोड़कर बीच के के
१,७८,००० योजन में ३० लाख नरकावास हैं। शर्कराप्रभा की मोटाई १,३२,००० योजन, बालुकाप्रभा की १,२८,००० योजन, पंकप्रभा की १,२०,००० योजन, धूमप्रभा की १,१८,००० योजन, तमःप्रभा की १,१६,००० योजन, तमस्तमःप्रभा की १,०८,००० योजन है। (३) संस्थान-आवलिका प्रविष्ट नरकावासों का संस्थान गोल, त्रिकोण और चतुष्कोण होता है। शेष का नाना प्रकार का। (४) बाहल्य (मोटाई)-प्रत्येक' नरकावास की ३,००० योजन है। (५) विष्कम्भ परिक्षेप (लम्बाई, चौड़ाई और परिधि)-कुछ नरकावास संख्येय ॥ (योजन) विस्तृत हैं, कुछ असंख्येय योजन विस्तृत हैं। (६) वर्ण-नारकों का वर्ण भयंकर काला, उत्कटरोमांचयुक्त (७) गन्ध-सर्पादि के मृत कलेवर से भी कई गुनी बुरी गन्ध। (८) स्पर्श-क्षुरधारा, खड्गधारा आदि से भी गई गुना तीक्ष्ण। अग्नि ज्वाला और बिच्छू के डंक से भी अधिक कष्टप्रद। (स्पष्टता हेतु संलग्न फ रेखाचित्र देखें। सौजन्य वृहत् संग्रहणी आचार्य विजय यशोदेव सूरि) ।
॥ द्वितीय शतक : तृतीय उद्देशक समाप्त॥ Elaboration—The description of hells in the second chapter of Jivabhigam Sutra according to the collative verse is as follows
(1) There are seven prithvis (hells) including Ratnaprabha. (2) At what 41 distance are the infernal abodes? The depth of Ratnaprabha prithvi is one 4
hundred eighty thousand Yojans. Leaving one thousand Yojans from top as 4 well as bottom there are three million infernal abodes in the remaining 1,78,000 Yojans. The depth of Sharkaraprabha is 1,32,000 Yojans, that of si Balukaprabha is 1,28,000 Yojans, that of Pankaprabha is 1,20,000 Yojans, that of Dhoom-prabha is 1,18,000 Yojans, that of Tamah-prabha is 1,16,000 Yojans, and that of Tamstamah-prabha is 1,08,000 Yojans. (3) Structure (samsthan)-The infernal abodes in a row (avalika pravisht) are round, triangular and quadrangular in shape. Others spread at random are in various shapes. (4) Bahalya (width or thickness)-- It is 3,000 Yojans for each infernal abode. (5) Vishkambh Parikshep (length, width and circumference)-Some infernal abodes are stretched over dimensions that measure countable Yojans while others that measure innumerable Yojans. 45 (6) Varna (colour)-The colour of infernal beings is fearfully black and extremely terrifying. (7) Gandh (odour)-It is many times more repulsive than that of a rotten carcass of a snake or other animal. (8) Sparsh (touch)-Many times sharper than the edge of a razor or sword. More painful than a flame or sting of a scorpion. (for clarity see illustration reproduced from Brihat Sangrahani by Acharya Vijaya Yashodev Suri)
• END OF THE THIRD LESSON OF THE SECOND SHATAK
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भगवतीसूत्र (१)
(278)
Bhagavati Sutra (1) |
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