________________
)))5555558
$ 55555555 555555
))
卐 है। भाव से-सिद्ध अनन्त ज्ञानपर्यायरूप हैं, अनन्त दर्शनपर्यायरूप हैं, यावत्-अनन्त-अगुरु
लघुपर्यायरूप हैं तथा अन्तरहित हैं। अर्थात्-द्रव्य से और क्षेत्र से सिद्ध अन्त-सहित हैं तथा काल से और 9 भाव से सिद्ध अन्तरहित हैं। इसलिए हे स्कन्दक ! सिद्ध अन्त-सहित भी हैं और अन्तरहित भी हैं। 4 [4] Skandak ! Further, your mind is plagued with the doubt, 'Are the si
Siddhas with or without limit ? In this regard the answer follows the same pattern-Read details as already stated... and so on up to... In
context of substance one Siddha (liberated soul) has a limit. In context of 41 area Siddha (soul) has innumerable space-points and it occupies
innumerable space-points, thus it has a limit. In context of time (kaal) any single Siddha is with a beginning and without an end. It is without limit. In context of state Siddha has infinite alternatives of knowledge
(inana), perception/faith (darshan)... and so on up to... non-grossness4 subtleness. So it is without a limit. Thus in context of Dravya and 卐 Kshetra Siddha (soul) is with limit, and in context of Kaal (time) and 4 Bhaava (state) Siddha (soul) is without limit. Therefore, O Skandak ! 4
Siddha liberated (soul) is with limit as well as without limit. 5 बालमरण-पण्डितमरण BAAL-MARAN AND PUNDIT-MARAN
२५. जे वि य ते खंदया ! इमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए जाव समुप्पज्जित्था केण वा मरणेणं मरमाणे ॐ जीवे वडति वा हायति वा ? तस्स वि य णं अयमठे-एवं खलु खंदया ! मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, ॐ मतं जहा-बालमरणे य पंडितमरणे य ? म २५. पुनः हे स्कन्दक ! तुम्हें जो इस प्रकार का अध्यवसाय, चिन्तन, यावत् संकल्प उत्पन्न हुआ था ॥ • कि कौन से मरण से मरते हुए जीव का संसार घटता है ? उसका भी अर्थ (समाधान) यह है-हे स्कन्दक ! ॐ मैंने दो प्रकार के मरण बतलाये हैं। यथा-बालमरण और पण्डितमरण।
25. Skandak ! Lastly, your mind is plagued with the doubt... and so on up to... that 'By what kind of death a dying being expands or reduces the cycles of rebirth (samsar) ? In this regard the answer is-0 Skandak ! I have stated that death is of two kinds—Baal-maran (ignorant's death) and Pundit-maran (pundit's death).
२६.[प्र.] से किं तं बालमरणे ? _[उ. ] बालमरणे दुवालसविहे प., तं जहा-वलयमरणे १ वसट्टमरणे २ अंतोसल्लमरणे ३ तब्भवरमणे ४ गिरिपडणे ५ तरुपडणे ६ जलप्पवेसे ७ जलणप्पवेसे ८ विसभक्खणे ९ सत्थोवाडणे १० वेहाणसे ११ गिद्धपट्टे १२। इच्चेते णं खंदया ! दुवालसविहेणं बालमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहिं
नेरइयभवग्गहणेहिं अप्पाणं संजोएइ तिरिय-मणुय-देव., अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं + संसारकंतारं अणुपरियट्टइ, से तं मरमाणे वड्ढइ। से तं बालमरणे।
8555555555555))))))))))))
द्वितीय शतक : प्रथम उद्देशक
(251)
Second Shatak : First Lesson
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org