________________
तीर्थ महिमा सुनकर सागर सेठ बोला- “महाराज ! तीर्थ वन्दना करने की मेरी भावना है । आप भी हमारे साथ चलिए। "
इसे कहीं देखा है ?
अरविंद मुनि सार्थ के साथ चलते-चलते एक भीषण जंगल में पहुँच गये। सेठ ने कहा—“महाराज ! यहाँ पर सुन्दर विशाल सरोवर है। अनेक सघन वृक्ष हैं। हम कुछ दिन यहाँ विश्राम करना चाहते हैं ।"
एक दिन हाथियों का झुंड सरोवर पर पानी पीने आया। यूथपति हाथी ने दूर बहुत तम्बू आदि देखे। मनुष्यों को घूमते देखा। उसने सोचा- 'अवश्य कोई राजा हाथियों को पकड़ने के लिए यहाँ आकर ठहरा है।'
यूथपति को क्रोध आया- 'ये दुष्ट मनुष्य हमें पकड़ने के लिए अपना जाल फैलायें उससे पहले ही इन्हें नष्ट कर देना चाहिए।'
उसने जोर की चिंघाड़ मारी। सभी हाथी सावधान हो गये और तम्बुओं की तरफ दौड़ने लगे। क्रोध में आये हाथी सूँड़ों से वृक्षों को उखाड़ते, पाँवों से पत्थरों को ठोकर मारते तम्बुओं पर टूट पड़े। तम्बुओं में ठहरे यात्री इधर-उधर भागने लगे। चीखने-चिल्लाने लगे ।
क्षमावतार भगवान पार्श्वनाथ
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
9
www.jainelibrary.org