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रूपका गर्व सभी मित्र राजाओं के साथ विशाल सैन्य बल लेकर चक्रवर्ती सनत्कुमार | कई वर्षों में भरतक्षेत्र के छह खण्ड विजय कर षट्खण्ड विजय यात्रा पर निकल पड़े।
सनत्कुमार हस्तिनापुर लौटे। हस्तिनापुर में एक विशाल विजय महोत्सव का आयोजन हुआ। Latrena
चक्रवर्ती सनत्कुमार की जय !
ASAAYA
सौधर्म देवलोक के स्वामी शक्रेन्द्र कुबेर अनेक अलौकिक उपहार लेकर चक्रवर्ती सनत्कुमार की | ने कुबेर को बुलाकर कहा- सेवा में उपस्थित हुआ। हे चक्रेश्वर ! हम आपके हे कुबेर ! चक्रवर्ती सनत्कुमार
जाणा मित्र सौधर्मेन्द्र की आज्ञा से 66001 पूर्व जन्म में सौधर्मेन्द्र थे इसलिए
यह दिव्य उपहार लेकर / वे हमारे बंधु होते हैं। उनके
आये हैं। हमारी भेंट/ चक्रवर्ती पद महोत्सव पर हमारी
स्वीकार करें। तरफ से अभिषेक किया जाय।
जो आज्ञा देव!
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