________________
रूपका गर्व शुभ दिन देखकर सनत्कुमार ने हस्तिनापुर के लिए विमानों में बैठकर प्रस्थान किया। उसके साथ अनेक विद्याधर राजा भी सेना लेकर चल पड़े। विमान हस्तिनापुर के पास पहुंचे तो वहाँ नगर निवासी आश्चर्य से देखने लगे-
पीन पान पनि छ
(इतने सारे विमान एक साथ इस ओर? अवश्य कोई विद्याधर सम्राट
आ रहा है इन विमानों में।
अरे ! यह तो अपने राजकुमार हैं? चलो महाराज को खबर करें।
राजा अश्वसेन को सनत्कुमार के आगमन का समाचार मिला। राजा अश्वसेन और रानी सहदेवी पुत्र की अगवानी करने नगर-द्वार पर पहुंचे। विशाल सेना और सैकड़ों राजाओं के साथ सनत्कुमार ने नगर में प्रवेश किया। राजा-रानी पुत्र को देखकर आनंदित हो गये।
नों तक नगर में उत्सव मनाया जाता रहा।
आज कितने वर्षों बाद ये आँखें तृप्त हुई हैं।
अश्वसेन ने पुत्र को हृदय से लगा लिया।
Jain Education International
For Private & 1 6onal Use Only
www.jainelibrary.org