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अरे, त
क्यों नहीं पढ़ाया ? मुझे अशिक्षित क्यों रखा ?
田田
तृष्णा का जाल
बेटा ! इसका कारण मैं ही हूँ । तेरे पिताजी ने सच कहा था, तू अपने पुत्र की माँ नहीं, दुश्मन है, पुत्र को अशिक्षित रखकर एक दिन पछतायेगी। आज वही दिन आ गया।
यशा आशा भरी दृष्टि से कपिल का मुँह देखने लगी ।। | उसने कपिल के सिर पर हाथ फिराया
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वत्स ! अब तू कैसे पढ़ेगा? कौन पढ़ायेगा तुझे? कब तक तू विद्या प्राप्त कर महापण्डित बनेगा? असम्भव है।
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कपिल बोला
माँ ! क्या मैं अब पढ़-लिखकर पिताजी की गद्दी प्राप्त नहीं कर सकता?
अरे, असम्भव क्यों? मैं भी उसी पिता का पुत्र हूँ न? दिन-रात अध्ययन कर सम्पूर्ण विद्याएँ प्राप्त कर लूँगा। मुझे बता माँ, मैं किससे पढूँ ?
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