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तृष्णा का जाल
रात्रि के समय महापण्डित काश्यप ने पत्नी यशा से कहा
देवी, हम-तुम कितने सौभाग्यशाली हैं इस अवस्था में पुत्र-प्राप्ति और फिर रजत-शिविका का विशिष्ट राज सम्मान हमारे कुल गौरव को उज्ज्वल बनाने वाला है।
राजसभा में पहुँचने पर राजा ने राजपुरोहित को प्रणाम किया
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दूसरे दिन से महापण्डित काश्यप चाँदी की पालकी में बैठकर गाजे-बाजे के साथ राजसभा की ओर चल दिये।
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हाँ स्वामी, यह पुरस्कार
वास्तव में ही हमारे लिए अपार प्रसन्नता का विषय है।
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आइये पुरोहित जी, आज से आपका स्थान हमारे निकट होगा।
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एक और सम्मान पाकर राजपुरोहित काश्यप प्रसन्न हो गये।
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