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भगवान जेमिनाथ कुछ देर बाद देवता ने अपनी माया समेट श्रीकृष्ण के नेतृत्व में यादवों की सेना आगे बढ़ती हुई रैवतक ली। वहाँ न चिता थी न किला और नही पर्वत की तलहटी में पहुंची। वहाँ पर सत्यभामा ने दो बुढ़िया। कालकुमार की सेना ने जरासंध के तेजस्वी पुत्रों को जन्म दिया। श्रीकृष्ण ने अष्टम तप करके पास आकर सारी घटना सुनाई तो जरासंघ सुस्थित देव की आराधना की, देव उपस्थित हुआ-| दुःख से पागल होकर सिर पीटने लगा।
आपने मुझे किसलिए स्मरण किया है?
एप्पा
ओह ! कृष्ण ने छल से मेरे पुत्र की हत्या की है। मैं उसे जिन्दा
नहीं छोडूंगा।
देव, हमारे लिए यहाँ पर आप एक विशाल सुन्दर नगरी का निर्माण करें।
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देवता ने नौ योजन लम्बी और बारह योजन चौड़ी एक सुन्दर नगरी का निर्माण किया। जो द्वारका के नाम से प्रसिद्ध हुई।
इधर जरासंध ने अपार सेना लेकर द्वारका की तरफ प्रस्थान कर दिया। नारद जी श्रीकृष्ण की सभा में समाचार लेकर आ पहुँचे। श्रीकृष्ण ने नेमिकुमार से पूछा
होनहार ऐसी ही है। जरासंध का कुमार ! क्या यह युद्ध अनिवार्य अज्ञान और अहंकार उसे यहाँ तक है? इसका परिणाम क्या होगा? / खींच लाया है। उसकी मृत्यु निश्चित
है। आप विजयी होंगे।
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