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________________ भगवान नेमिनाथ जरासंध को मरा देखकर उसके साथी भयभीत अनेक राजा नेमिकुमार की शरण में आये नेमिकुमार शत्रु पक्ष के राजा व जरासंध के पुत्रों को साथ लेकर वासुदेव श्रीकृष्ण के पास आये। हमारी आज्ञा के 'तात ! आप अमेय योद्धा हैं, पराजित अधीन रहकर शत्रु को क्षमादान करना आपका धर्म A सुखपूर्वक जीयें। है। इन भयभीतों को अभयदान देकर अपन कर्तव्य पूर्ण करें। LOOD neeeeeeeeeee सा नेमिकुमार के कहने पर श्रीकृष्ण ने सभी को अभयदान दिया। श्रीकृष्ण, नेमिकुमार आदि सुखपूर्वक द्वारका में रहने लगे। नेमिकुमार अब युवा हो चुके थे। एक दिन घूमते हुए वासुदेव श्रीकृष्ण की आयुधशाला में पहुँच गये। वहाँ पर विभिन्न प्रकार के अस्त्र-शस्त्र देखने लगे। आयुधशाला के रक्षक ने बताया कुमार ! वासुदेव श्रीकृष्ण के सिवाय किसी में भी इतनी शक्ति नहीं है जो इन आयुधों को उठा सके। ब CCOctronoure एनना QODUDUO HOOQOM नेमिकुमार मुस्कराये और उन्होंने सुदर्शन चक्र अंगुली पर उठाकर खूब वेग से घुमाया। आयुधरक्षक आश्चर्यचकित देखता रहा 60000 हैं? क्या यह (वासुदेव श्रीकृष्ण से भी अधिक पराक्रमशाली हैं? GO TODO ANDU Jair En For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002819
Book TitleBhagvana Neminath Diwakar Chitrakatha 020
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurnachandravijay, Shreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size20 MB
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