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________________ चिलाती 200 कुमार ने राजअधिकारियों को बुलाकर कहा प्रजा से कर वसूल करो, सभी वस्तुओं पर पहले से चार गुना कर लगा दो, जो कर नहीं दे उसका धन लूट लो / राज- कर्मचारियों ने नगर लूट तभी नगर के सभ्य श्रेष्ठि जनों ने भी आकर चिलाती कुमार की शिकायत की राजकुमार श्रेणिक Jain Education International महाराज! कुमार अपनी दुराचारी मित्र मंडली के साथ नगर की माता बहनों की इज्जत पर हाथ डाल रहे हैं। हम असुरक्षित हैं, प्रजा की रक्षा कीजिए। खसोट मचा दी। प्रजा ने आकर महाराज प्रसेनजित से रक्षा की गुहार की महाराज ! हमारी रक्षा कीजिए। चिलाती कुमार के आदेश से राजकर्मचारियों ने नगर में लूटपाट मचा रखी है। चिलाती कुमार के अत्याचारों व उत्पीड़न की शिकायतें सुनकर दुखी वृद्ध प्रसेनजित गंभीर रूप से बीमार हो गये। उन्होंने मंत्री वाचस्पति से कहा शा महामंत्री, अब मेरा अन्तिम समय निकट आ गया है, मैं अपना दुःख सह सकता हूँ, किन्तु प्रजा को दुःखी नहीं देख सकता। तुम श्रेणिक को खोज कर लाओ, वही इस राज्य की रक्षा कर सकता है। 28 For Private & Personal Use Only 1000, 166 www.jainelibrary.org
SR No.002815
Book TitleRajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Original Sutra AuthorDevebhdra Muni
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size22 MB
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