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तीन महीने बाद फिर एक दिन नंदा ने श्रेणिक से कहा
स्वामी मेरे मन में एक अद्भुत दोहद# उत्पन्न हुआ है!
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दोहद सुनकर श्रेणिक चिंतित हो गया
राजकुमार श्रेणिक
देवी, बताओ, मैं उसे अवश्य पूर्ण करूँगा।
देवी, यह दोहद धन-बल और बुद्धि-बल से पूर्ण होना मुश्किल है। इसके लिए राज-बल चाहिए। कुछ सोचना पड़ेगा।
# दोहद = गर्भवती माता की तीव्र इच्छा
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स्वामी कल से ही
अष्टान्हिक पर्व (पर्युषण पर्व) प्रारम्भ हो रहे हैं। आठ दिन तक नगर में किसी भी प्रकार पंचेन्द्रिय हिंसा न हो । सब जीवों को अभयदान मिले।
| तभी राजमार्ग पर कोलाहल सुनाई दिया। श्रेणिक ने घर के झरोखे से बाहर झाँका।
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अरे पागल हाथी
शहर में घुसकर तोड़-फोड़ कर रहा है।
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वह दौड़कर तुरन्त नीचे आया।
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