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________________ राजकुमार श्रेणिक BINOMOBIO कुछ दिन पहले ही पिताजी को स्प स्वप्न आया था कि कोई प्रतापी राजकुमार हमारे घर पर आया है, और पिताजी ने उसी के साथ मेरा विवाह कर दिया। कहीं वह स्वप्न सच तो नहीं होने जा रहा है? दासी ने जाकर श्रेणिक को निमंत्रण दिया। श्रेणिक सेठ के घर पहुंचा। घर के सामने कुछ कीचड़ था। आते-आते कीचड़ में श्रेणिक के पैर गंदे हो गये। दासी एक लोटे में। थोड़ा-सा पानी लेकर आई लीजिए, अपने पैर साफ कर लीजिए। COTO उसने श्रेणिक को बुलाने के लिए दासी को भेजा।। श्रेणिक ने देखा, लोटे में थोड़ा-सा पानी है। इतने कम पानी से पैर कैसे साफ होंगे। यह सोचकर इधर-उधर देखा, तो बॉस की एक पतली-सी खपच्ची दिखाई दी। पास ही एक पतला-सा कपड़ा रखा था। श्रेणिक मन ही मन मुस्कराया। उसने खपच्ची से कीचड़ छुड़ाया और फिर कपड़ा गीला करके थोड़े से पानी से ही पैर साफ कर लिये नंदा यह देखकर सोचने लगी TOMMY ओह तो मेरी परीक्षा ली जा रही है। जरूरत पड़ने पर यह व्यक्ति कम से कम वस्तु में भी अपना काम निकाल सकता है। 2000 MAHILD DIMAD AGOलाला Education International 20 For private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002815
Book TitleRajkukmar Shrenik Diwakar Chitrakatha 016
Original Sutra AuthorDevebhdra Muni
AuthorShreechand Surana
PublisherDiwakar Prakashan
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Story
File Size22 MB
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