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मेघकुमार की आत्मकथा
प्रातः होते ही वे भगवान महावीर के समक्ष उपस्थित हुए। वे कुछ बोलते उससे पहले ही भगवान पूछ लिया
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मेघ ! तुम रात भर सोये नहीं? नींद नहीं आई ! विचारों की उथल-पुथल में बहुत परेशान रहे न?
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भगवान महावीर बोले
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हाँ भन्ते ! मेरा मन रात भर बहुते अशान्त रहा। मुझसे श्रमण-जीवन के ये कष्ट बर्दाश्त नहीं हो सकते इसलिए मैं अपने घर वापस लौट जाना चाहता हूँ
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मेघ, अगला कोई निर्णय लेने से पहले तुम एक घटना सुन तुम्हारे अशान्त मन को अवश्य ही शान्ति मिलेगी।
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भन्ते ! अवश्य ! सुनाइये।
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