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मेघकुमार की आत्मकथा
प्रीतिभोज के उत्सव पर राजा ने स्वजनों को बताया
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रानी धारिणी को मेघ का दोहद उत्पन्न हुआ था। इस
कारण इस बालक का नाम
मेघकुमार रखा जाये।
(राजकुमार मेघकुमार चिरायु हों।
बड़े लाड़-प्यार
मेघकुमार का लालन-पालन होने लगा। आठ वर्ष का होने पर मेघकुमार को शिक्षण के लिए गुरुकुल में भेजा गया।
राजा ने सभी स्वजन मित्रों को मान-सम्मान देकर विदा किया।
वत्स ! गुरुकुल के तीन नियमों का सदा पालन करोगे सत्य, संयम और अनुशासन ।
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कैल
कलाचार्य ने उसे ८ वर्ष तक सब प्रकार का शिक्षण देकर योग्य बनाया।
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मेघकुमार ! अब तुम्हारा शिक्षण पूर्ण हो गया है। जाओ अपने राज्य में जाकर प्रजा का हित करो। सत्य, अहिंसा, करुणा, दया का हमेशा अपने जीवन में पालन करो।
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कलाचार्य से आशीर्वाद लेकर मेघकुमार अपने
राज्य वापस आ गया।
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